– पूर्णेन्दु सिन्हा पुष्पेश
झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी पहली सूची में 66 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। इस सूची में बीजेपी ने रणनीतिक रूप से सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है। पहली ही सूची में उम्मीदवारों की घोषणा से यह स्पष्ट है कि बीजेपी ने चुनावी मैदान में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए गंभीरता से योजना बनाई है।
बीजेपी ने इस बार 11 महिलाओं को भी टिकट दिया है, जो कि पार्टी के समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है। राज्य में बीजेपी कुल 68 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, और यह लिस्ट पार्टी की आगामी रणनीतियों का संकेत देती है। बीजेपी ने अपने बड़े नेताओं की नाराजगी से बचने के लिए उनके करीबी लोगों को टिकट देने का फैसला किया है। उदाहरण के लिए, चंपाई सोरेन और उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को टिकट मिला है, साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास और अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को भी मैदान में उतारा गया है।
इस बार बीजेपी ने अपने युवा नेताओं को भी मौका दिया है, जो यह दर्शाता है कि पार्टी अपने भविष्य को लेकर गंभीर है। पार्टी ने जेएमएम छोड़कर आए तीन बड़े नेताओं को भी टिकट दिया है, जिसमें चंपाई सोरेन को सरायकेला से और सीता सोरेन को जामताड़ा से उम्मीदवार बनाया गया है।
विशेष रूप से, बाबूलाल मरांडी और सीता सोरेन को सामान्य सीटों पर उतारा गया है, जो पार्टी की रणनीतिक सोच को दर्शाता है। इन दोनों नेताओं को टफ टास्क सौंपा गया है और पार्टी को उनसे काफी उम्मीदें हैं। इसके अलावा, सुदर्शन भगत जैसे कई नेता, जो लोकसभा चुनाव में हार गए थे, उन्हें भी टिकट दिया गया है, जिससे यह साबित होता है कि पार्टी अपने पुराने अनुभवों का फायदा उठाने के लिए तत्पर है।
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से 24 पर उम्मीदवार घोषित किए गए हैं, जबकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर सात उम्मीदवारों का ऐलान किया गया है। यह स्पष्ट है कि बीजेपी ने चुनाव में सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बनाई है, और यही पार्टी की मजबूत स्थिति का संकेत है।
बीजेपी की यह पहली सूची ना केवल पार्टी के समर्पण और गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि पार्टी झारखंड में अपनी राजनीतिक उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए तैयार है। महागठबंधन में अभी भी सीटों को लेकर रार मची हुई है, जबकि बीजेपी चुनावी मैदान में अपनी स्थिति को मजबूत कर चुकी है। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में बीजेपी की यह रणनीति कितनी सफल होती है।
उधर महागठबंधन में सीटों को लेकर खींचतान जारी है, जो बीजेपी के लिए एक और अवसर प्रस्तुत करता है। महागठबंधन की अस्थिरता और सीट बंटवारे में जटिलता, बीजेपी को चुनावी लाभ दिला सकती है। इस प्रकार, बीजेपी की पहली सूची केवल पार्टी की समर्पण और गंभीरता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि वह झारखंड में अपनी राजनीतिक उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए तैयार है।
झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए इंडि गठबंधन की सहयोगी पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से 70 सीटों पर झामुमो (जेएमएम) और कांग्रेस चुनाव लड़ेंगी। बाकी 11 सीटों पर राजद (आरजेडी), सीपीएम (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और अन्य सहयोगी दल चुनावी मैदान में उतरेंगे।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि जेएमएम और कांग्रेस कितनी- कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर की उपस्थिति में सीट शेयरिंग का ऐलान किया। इस अवसर पर आरजेडी और वाम दल के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने बताया कि सहयोगी दलों से बातचीत जारी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह कहना कि उनकी सरकार सत्ता में वापस लौटेगी, हालाँकि, उनकी विकास कार्यों पर भरोसा जताता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि बीजेपी ने अपने दांव पहले से ही बिछा दिए हैं। झारखंड के आगामी चुनाव में बीजेपी की यह रणनीति ना केवल पार्टी के लिए बल्कि झारखंड की राजनीतिक धारा के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होने वाली है।
वास्तव में, यह चुनावी परिदृश्य झारखंड में एक नए राजनीतिक युग का संकेत देता है, जहाँ विभिन्न दलों के बीच गठबंधन और सीटों का वितरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। बीजेपी की मजबूत स्थिति और महागठबंधन की अस्थिरता, इसे एक ऐसा मोड़ देती है जहाँ बीजेपी सत्ता की ओर बढ़ती नजर आ रही है। अब देखना यह है कि बीजेपी की यह चुनावी रणनीति कितनी सफल होती है, लेकिन फिलहाल तो चुनावी माहौल में बीजेपी की जीत का आगाज़ स्पष्ट रूप से दिख रहा है।