झारखंड में वैकल्पिक विकास मॉडल की आवश्यकता

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘

झारखंड, अपनी अपार खनिज संपदा के लिए जाना जाता है, लेकिन क्या यह संपदा राज्य के आर्थिक विकास का आधार बन पा रही है? वर्तमान में झारखंड की राजनीतिक और आर्थिक नीतियों की समीक्षा करने पर यह स्पष्ट होता है कि राज्य को एक समन्वित और संवेदनशील विकास मॉडल की आवश्यकता है। यह मॉडल स्थानीय समुदायों और पर्यावरण का सम्मान करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

झारखंड की मौजूदा सरकार, विशेष रूप से हेमंत सोरेन की नेतृत्व में, स्थानीय जनसंख्या और पर्यावरणीय सुरक्षा के मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रही है। यह स्थिति अब उस बिंदु पर पहुंच चुकी है जहाँ नई झारखंड सरकार की आवश्यकता महसूस की जा रही है, जो राज्य के विकास, युवाओं को रोजगार, महिलाओं की सुरक्षा, और आदिवासी समुदायों की परंपराओं का सम्मान करने में सक्षम हो।

हेमंत सोरेन का शिबू सोरेन के प्रति झारखंडवासियों का सॉफ्ट कार्नर और उनके पुत्र होने का लाभ उठाना उनकी उपलब्धियों की कमी को नहीं छिपा सकता। इसके अलावा, उन पर भ्रष्टाचार और मुस्लिम ध्रुवीकरण के कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें से कई तो न्यायालय में विचाराधीन हैं। ऐसे में, राज्य का सुचारु संचालन संदेह के घेरे में आ जाता है। क्या यह उचित है कि राज्य की बेहतरी के लिए जनता को अपने अधिकारों से वंचित रहना पड़े?

झारखंड की खनिज संपदा पर वर्तमान सरकार की नीतियों का हमेशा से विरोध होता रहा है। खनिज संसाधनों का जिम्मेदार और सतत विकास ही राज्य की संपन्नता का आधार बन सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि राज्य सरकार खनिज संसाधनों की स्थानीय स्तर पर चोरी और दोहन पर कड़ा नियंत्रण रखे।

सरकार को पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए। इसके साथ ही, स्थानीय समुदायों के विकास के लिए ठोस योजनाएँ बनानी चाहिए। यह नीतियाँ ऐसी होनी चाहिए जो न केवल खनिज संपदा के दोहन में सहायक हों, बल्कि स्थानीय समुदायों की जरूरतों और पर्यावरणीय सुरक्षा का भी ध्यान रखें। क्या हमारी सरकार इस दिशा में गंभीरता से सोच रही है? या सिर्फ जनसमर्थन जुटाने के लिए योजनाओं की घोषणाएं कर रही है?

युवा रोजगार और महिलाओं की सुरक्षा :

राज्य में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है, विशेषकर युवाओं के लिए। झारखंड की युवा शक्ति को रोजगार के अवसर प्रदान करना अनिवार्य है। एक वैकल्पिक विकास मॉडल को युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर जोर देना चाहिए। इसके अंतर्गत, कौशल विकास कार्यक्रम, स्वरोजगार योजनाएँ, और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ शामिल होनी चाहिए।

युवाओं की सशक्तिकरण के लिए राज्य को एक विस्तृत योजना बनानी होगी, जिसमें न केवल शिक्षण संस्थानों के माध्यम से कौशल विकास किया जाए, बल्कि स्थानीय उद्योगों और कृषि को भी तकनीकी सहायता प्रदान की जाए। क्या हमारी सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठा रही है, या सिर्फ चुनावी वादों तक सीमित है?

महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण भी विकास के लिए अनिवार्य हैं। उन्हें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सभी क्षेत्रों में बराबरी का दर्जा प्रदान किया जाना चाहिए। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए छोटे व्यवसायों के लिए अनुदान, शिक्षा में विशेष सुविधाएँ, और हिंसा के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

क्या हमें इस बात पर विचार नहीं करना चाहिए कि यदि महिलाएँ सशक्त होंगी तो वे अपने परिवारों और समाज का भी सशक्तिकरण करेंगी? हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि महिलाएँ समाज के हर स्तर पर भाग लें और उनके अधिकारों की रक्षा की जाए।

आदिवासी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान :

झारखंड में आदिवासी संस्कृति और परंपराएँ बेहद महत्वपूर्ण हैं। एक वैकल्पिक विकास मॉडल को आदिवासी समुदायों की परंपराओं और अधिकारों का सम्मान करते हुए विकसित किया जाना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि सरकार स्थानीय आदिवासी नेताओं और समुदायों के साथ मिलकर योजनाएँ बनाए, जिससे उनके विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

आदिवासियों को उनके हक और संपत्तियों से बेदखल करने की प्रवृत्ति ने उनके विकास को बाधित किया है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आदिवासी समुदायों को न केवल उनके अधिकार दिए जाएं, बल्कि उनके विकास में उनकी भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए। क्या हम आदिवासी संस्कृति को बचाने और उन्हें सम्मान देने के लिए तैयार हैं?

पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास :

एक वैकल्पिक विकास मॉडल में पर्यावरण संरक्षण का पहलू भी महत्वपूर्ण है। झारखंड की प्राकृतिक संपदाएँ जैसे जंगल, जल, और भूमि का संरक्षण आवश्यक है। खनिज संपदा के दोहन के साथ-साथ इन संसाधनों का संरक्षण भी आवश्यक है। क्या हमारी सरकार इस दिशा में जागरूक है? क्या वह भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है?

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार को कड़े कानून और नीतियाँ बनानी होंगी। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए। लोगों को उनके पर्यावरण की सुरक्षा के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए।

झारखंड को एक समर्पित और विचारशील सरकार की आवश्यकता है, जो विकास के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक वैकल्पिक विकास मॉडल की दिशा में कार्य करे। यह मॉडल न केवल राज्य के आर्थिक विकास को सुनिश्चित करेगा, बल्कि सामाजिक न्याय और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देगा। मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति , बांग्लादेशी घुसपैठियों का पालन – पोषण , भ्र्ष्टाचार और ऐसे अनेक झारखण्डद्रोही नीतियां झारखण्ड को जल्द ही बिखरा सकती हैं। झारखण्ड वासियों को इनसे सचेत होना होगा।

अब समय आ गया है कि झारखंड की जनता एक ऐसे नेतृत्व का चुनाव करे, जो उसके वास्तविक विकास के प्रति समर्पित हो। विचारणा होगा कि क्या झारखण्ड की जनता अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं? क्या वह उन नेताओं को चुनेंगे जो झारखंडी हितों की रक्षा कर सकें?

राज्य की समृद्धि और विकास का मार्ग तभी प्रशस्त होगा, जब झारखण्ड में एक ऐसा नेतृत्व चुना जाये जो न केवल चुनावी वादों को निभाने में सक्षम हो, बल्कि जो वास्तव में झारखंडवासियों के हितों के प्रति समर्पित हो। यह समय है झारखंड के विकास की नई दिशा निर्धारित करने का।