राष्ट्रवाद और भारतीय मीडिया की जिम्मेदारी

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु पुष्पेश। 

राष्ट्रवाद का भारतीय संदर्भ एक ऐसा विषय है, जो देश की सांस्कृतिक, सामाजिक, और राजनीतिक धारा के मूल में समाहित है। भारतीय समाज, जो विविधता में एकता के अद्वितीय सिद्धांत पर आधारित है, उसमें राष्ट्रवाद का महत्त्व अत्यधिक है। राष्ट्रवाद, देश की एकता और अखंडता को बढ़ावा देने का भाव है, जिसके तहत व्यक्ति अपनी पहचान को राष्ट्रीय पहचान से जोड़कर देखता है। इस संदर्भ में, भारतीय मीडिया का योगदान न केवल सूचनाएं देने तक सीमित है, बल्कि वह राष्ट्रवाद की भावना को बनाए रखने, उसे सशक्त बनाने, और उसकी सही दिशा में मार्गदर्शन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन यह जिम्मेदारी केवल सकारात्मक पक्ष तक सीमित नहीं है; मीडिया का काम तथ्यों को संतुलित और निष्पक्षता से प्रस्तुत करना भी है ताकि राष्ट्रवाद के नाम पर उत्पन्न होने वाले अतिवादी भावों को नियंत्रित किया जा सके।

भारत में राष्ट्रवाद का उदय मुख्यतः ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष से हुआ। भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्रवाद को जन आंदोलन का रूप दिया। इस भावना ने देश को एकजुट किया और भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के बाद भी राष्ट्रवाद की यह भावना राष्ट्र निर्माण में सहायक रही, चाहे वह देश की संप्रभुता की रक्षा हो या सामाजिक समरसता स्थापित करने का प्रयास।

आजादी के बाद, राष्ट्रवाद की धारणा को भारतीय राजनीति और समाज के हर स्तर पर सुदृढ़ किया गया। संविधान में वर्णित राष्ट्रीय एकता और अखंडता को संरक्षित रखना हर भारतीय नागरिक की जिम्मेदारी है, और मीडिया इस जिम्मेदारी को प्रसारित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मीडिया का यह कर्तव्य है कि वह जनता को राष्ट्रवाद की सही परिभाषा से अवगत कराए और यह सुनिश्चित करे कि यह भावना समाज को जोड़ने का कार्य करे, न कि उसे विभाजित करने का।

मीडिया को अक्सर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। इसकी जिम्मेदारी है कि वह जनता को सही, सटीक, और वस्तुनिष्ठ जानकारी प्रदान करे ताकि जनता सूचित निर्णय ले सके। मीडिया का एक और महत्वपूर्ण कार्य है, सरकार की नीतियों की आलोचना करना और जनता के हितों की रक्षा करना। लेकिन जब हम मीडिया की भूमिका को राष्ट्रवाद से जोड़ते हैं, तो यह जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।

मीडिया का काम है कि वह देश की अखंडता, संप्रभुता, और समाज की सुरक्षा पर ध्यान दे। उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्रवाद के नाम पर कोई भी ऐसा प्रचार न हो, जिससे समाज में नफरत, हिंसा, या विभाजन उत्पन्न हो। राष्ट्रवाद एक सकारात्मक भावना है, जिसका उद्देश्य देश के प्रति समर्पण और जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करना है। लेकिन अगर इसे गलत दिशा में मोड़ा जाए, तो यह अतिवादी राष्ट्रवाद (अति-राष्ट्रवाद) का रूप ले सकता है, जिससे समाज में टकराव और विभाजन की स्थिति पैदा हो सकती है। मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह इस प्रकार के अतिवादी विचारों को प्रोत्साहित न करे, बल्कि संतुलित और तथ्यों पर आधारित खबरें और विचार प्रस्तुत करे।

भारतीय मीडिया के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती है, सूचनाओं की सत्यता और उनकी निष्पक्षता को बनाए रखना। देश में पिछले कुछ वर्षों में “फेक न्यूज” और “प्रोपेगैंडा” का प्रसार बढ़ा है, जिससे समाज में गलत धारणाएं फैलती हैं और जनमत को प्रभावित किया जाता है। सोशल मीडिया के इस युग में खबरें और विचार तेजी से फैलते हैं, और मीडिया की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह ऐसी खबरें प्रकाशित करे, जो तथ्यों पर आधारित हों और समाज को सही दिशा में मार्गदर्शन करें।

इसके अलावा, मीडिया के कई हिस्सों में राष्ट्रवाद का एक अतिवादी रूप उभर रहा है, जहां देशभक्ति और राष्ट्रवाद को अतिशयोक्तिपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। इसका परिणाम यह है कि जनता में कुछ विशेष समुदायों या विचारधाराओं के प्रति नफरत और अविश्वास पैदा होता है। यह राष्ट्रवाद के मूल सिद्धांत के खिलाफ है, जो देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए काम करता है। मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह इस प्रकार के ध्रुवीकरण से बचे और सही और संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करे।

राष्ट्रवादी पत्रकारिता का आदर्श यह होना चाहिए कि वह देश की सेवा करे, समाज को सशक्त बनाए, और जनता के हितों की रक्षा करे। मीडिया का काम सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करना और उसे सही रास्ते पर लाने के लिए दिशा दिखाना है। एक सच्चा राष्ट्रवादी पत्रकार वही है, जो देश की उन्नति और विकास के प्रति समर्पित हो, लेकिन साथ ही वह सरकार की गलतियों और समाज की समस्याओं पर भी निष्पक्षता से प्रकाश डाले। यह जरूरी है कि राष्ट्रवाद के नाम पर मीडिया जनता को गुमराह न करे, बल्कि उसे सही जानकारी देकर उनके बीच सशक्त राष्ट्रवाद की भावना पैदा करे।

आज के समय में राष्ट्रवादी पत्रकारिता के सामने यह चुनौती है कि वह सरकार की नीतियों की आलोचना करने से न डरे, चाहे वह कितनी भी राष्ट्रवादी क्यों न हो। सरकार की नीतियों की आलोचना करना देशविरोधी नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र का एक अभिन्न अंग है। मीडिया का काम जनता की आवाज को बुलंद करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है। इसलिए, पत्रकारों को राष्ट्रवादी विचारधारा का समर्थन करते हुए भी निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता को बनाए रखना चाहिए।

मीडिया का एक और महत्वपूर्ण कार्य है, समाज में सकारात्मक और सशक्त राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना। भारत जैसे विविधतापूर्ण समाज में, मीडिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्रवाद की भावना सभी समुदायों, धर्मों, और जातियों के लोगों को एक साथ जोड़ने का काम करे। मीडिया को ऐसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो देश की समृद्धि, सुरक्षा, और विकास के लिए आवश्यक हैं, और जनता को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना चाहिए।

इसके साथ ही, मीडिया को सामाजिक समस्याओं जैसे गरीबी, बेरोजगारी, और अशिक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए। यह समस्याएँ देश की प्रगति में बाधक हैं, और इनका समाधान करना राष्ट्रवादी दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मीडिया का काम है कि वह इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे और सरकार के साथ-साथ जनता को भी उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करे।

राष्ट्रवाद एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दा है, और भारतीय मीडिया की भूमिका इसमें अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। राष्ट्रवाद की भावना को सही दिशा में बनाए रखना और उसे सशक्त बनाना मीडिया की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इसके साथ ही, मीडिया का यह दायित्व भी है कि वह राष्ट्रवाद के नाम पर फैलाए जा रहे अतिवादी विचारों से समाज को बचाए और सही और तथ्यात्मक जानकारी दे।

भारतीय मीडिया को राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से समाज की सेवा करनी चाहिए, लेकिन उसे यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी पत्रकारिता सच्चाई और निष्पक्षता पर आधारित हो। मीडिया को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह देश की एकता, अखंडता, और प्रगति के लिए कार्य करे। एक सच्चा राष्ट्रवादी पत्रकार वही है, जो देश और समाज की भलाई के लिए काम करे, और यही भारतीय मीडिया की सच्ची जिम्मेदारी है।