पद के साथ कद मुफ्त नहीं मिलता

  • PURNENDU PUSHPESH, Chief Editor

पद और कद, दो ऐसे शब्द हैं जो अक्सर एक साथ इस्तेमाल होते हैं लेकिन उनके अर्थ और महत्व अलग-अलग होते हैं। पद का मतलब होता है व्यक्ति की स्थिति या स्थान, जो उसे किसी संगठन, संस्था, या समाज में प्राप्त होती है। अब चाहे वह किसी क्षेत्र विशेष का कोई जनप्रतिनिधि हो, प्रतिष्ठान विशेष का प्रबंधन या स्थान विशेष प्रशासन में बैठा कोई महापदाधिकारी। वहीं, कद का अर्थ है व्यक्ति की प्रतिष्ठा, सम्मान, और प्रभाव। यह विश्लेषण इस बात पर केंद्रित है कि कैसे पद और कद में भिन्नता है और क्यों यह कहना उचित है कि “पद के साथ कद मुफ्त नहीं मिलता।”

पद को प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान हो सकता है, खासकर जब व्यक्ति के पास पर्याप्त योग्यता, अनुभव, और अवसर हों। कई बार, पद राजनीति, अनुशंसा, या परिवारिक प्रभाव के कारण भी प्राप्त हो सकता है। परंतु कद, जो व्यक्ति की वास्तविक प्रतिष्ठा और प्रभाव का मापक है, उसे अर्जित करना कठिन होता है। कद केवल व्यक्ति के कार्य, आचरण, और नैतिकता पर आधारित होता है।

कद का निर्माण एक सतत प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति के कार्य, आचरण, और मूल्यों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह निम्नलिखित पहलुओं से समझा जा सकता है:

कर्मठता और परिश्रम: व्यक्ति के काम की गुणवत्ता और उसकी मेहनत उसे दूसरों से अलग करती है। एक उच्च पद पर बैठा व्यक्ति अगर मेहनत और लगन से काम नहीं करता, तो उसका कद नहीं बढ़ सकता।

नैतिकता और ईमानदारी: नैतिकता और ईमानदारी किसी भी व्यक्ति की साख बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एक उच्च पद पर बैठा व्यक्ति अगर नैतिकता और ईमानदारी का पालन नहीं करता, तो वह अपना कद खो सकता है।

समर्पण और सेवा: किसी भी पद पर रहते हुए अगर व्यक्ति अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहता है और समाज की सेवा करता है, तो उसका कद बढ़ता है। पद और शक्ति का उपयोग सही तरीके से करना महत्वपूर्ण है।

मानवता और सहानुभूति: किसी भी पद पर रहते हुए अगर व्यक्ति दूसरों के प्रति सहानुभूति और मानवता दिखाता है, तो उसका कद समाज में ऊंचा होता है। यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपने पद का उपयोग केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी कर रहा है।

भारत में इतिहास के लेकर वर्तमान तक; ऐसे अनेक महान व्यक्तित्व पदधारी रहे हैं जो अपने कृतित्त्व के कद से जनमानस पटल पर अनायास उद्धरित होते रहते हैं। भारत के पूर्व राष्ट्रपति, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, का जीवन इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने राष्ट्रपति पद संभाला, लेकिन उनका कद उस पद से कहीं अधिक ऊंचा था। उनकी विनम्रता, वैज्ञानिक योगदान, और युवाओं के प्रति उनका समर्पण ने उन्हें एक महान व्यक्तित्व बना दिया। लोग उन्हें केवल उनके पद के लिए नहीं, बल्कि उनके कार्यों और मूल्यों के लिए याद करते हैं।

कई बार, पद प्राप्त करना आसान होता है लेकिन कद बनाए रखना कठिन होता है। यह इसलिए क्योंकि पद केवल एक स्थिति है, जो किसी कारणवश या संयोगवश प्राप्त हो सकती है। लेकिन कद, जो व्यक्ति की वास्तविक पहचान होती है, उसे बनाए रखने के लिए सतत प्रयास और सही आचरण की आवश्यकता होती है। व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि पद अस्थायी होता है, लेकिन कद स्थायी हो सकता है अगर उसे सही तरीके से अर्जित किया जाए।

अतः ऐसे पदधारकों विशेष के लिए यह पुनर्विचारणीय है कि पद केवल एक स्थिति है जिसे प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान हो सकता है, लेकिन कद, जो व्यक्ति की वास्तविक प्रतिष्ठा और प्रभाव का मापक है, उसे अर्जित करने के लिए मेहनत, ईमानदारी, समर्पण, और नैतिकता की आवश्यकता होती है। पद और कद का सामंजस्य ही व्यक्ति को सच्चे मायनों में महान बनाता है। अब चाहे वह कोई जनप्रतिनिधि हो, प्रबंधन या प्रशासन में बैठा कोई अन्यत्र। इसलिए, हमें केवल पद प्राप्त करने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए, बल्कि अपने कद को ऊंचा बनाने के लिए सतत प्रयास करना चाहिए।