भोजपुरी अध्ययन केंद्र द्वारा ‘हम भोजपुरिया, हमार भोजपुरी’ व्याख्यान श्रृंखला का आरंभ किया गया जिसके अंतर्गत आज पहला व्याख्यान ‘भोजपुरी साहित्य का नया स्वर और विश्व पटल पर भोजपुरी’ विषय पर भोजपुरी के गीतकार और ‘भोजपुरी जंक्शन’ पत्रिका के सम्पादक मनोज भावुक का हुआ। कार्यक्रम का आयोजन भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल की अध्यक्षता में केंद्र के राहुल सभागार में किया गया। कार्यक्रम में हिंदी विभाग के अध्यक्ष और प्रसिद्ध ग़ज़लकार प्रो.वशिष्ठ अनूप भी विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए मनोज भावुक ने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि विभिन्न भाषाओं में हो रहे विमर्शों में भोजपुरी साहित्य की चर्चा हो तथा तमाम भाषाओं का साहित्य भी भोजपुरी में उपलब्ध हो। मनोज भावुक ने कहा कि भोजपुरी का नित्यप्रति अध्ययन तथा नए स्वरों की तलाश करना हमारा कर्तव्य है। नवीन विषयों और नए दृष्टिकोणों के साथ भोजपुरी में लेखन होना चाहिए। इस अवसर पर आपने अपने तमाम गीतों और गज़लों का पाठ भी किया।
विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रो.वशिष्ठ अनूप ने कहा कि भोजपुरी का प्रारंभिक साहित्य लोक से प्रसूत है। लोक की संपदा ही भोजपुरी का प्रारंभिक साहित्य बनता है। इन लोकगीतों को संरक्षित एवं संवर्धित करने का कार्य स्त्रियों के द्वारा हुआ है। प्रो.अनूप ने कहा कि लोक में इन गीतों महत्व मंत्रों जैसा ही है। लोक के रास्ते भोजपुरी को बहुत कुछ मिला है तथा हमारा यह कर्तव्य है कि हम उस विरासत को सुरक्षित रखें तथा उसमें निरन्तर संवर्धन करने का प्रयत्न करते रहना चाहिए। इस अवसर पर प्रो.अनूप ने अपनी गज़लों का भी पाठ किया।
अध्यक्षीय वक्त्तव्य में प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा भोजपुरी श्रम की भाषा है तथा जहाँ श्रम होगा वहीं परिष्कार भी होगा। प्रो.शुक्ल ने कहा कि हमें सबसे बड़ा कार्य यह करना है कि सत्ता संरचना के सम्मुख भोजपुरी अपने भाषाई गौरव के साथ प्रस्तुत हो सकें। भोजपुरी का वर्तमान साहित्य सभी विधाओं से समृद्ध है तथा निरन्तर समृद्ध हो रही है। विश्व पटल पर भोजपुरी की तरफ भी ध्यान गया है इस गति को और बढ़ाने तथा नई-नई सम्भावनाओं के द्वार खोलने के लिए आवश्यक है कि भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता मिले।
कार्यक्रम में मधुर और मखमली आवाज़ के धनी गायक धर्मेंद्र सिंह ने मनोज भावुक के गजलों की सांगीतिक प्रस्तुति भी दी।
कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी उदय पाल ने किया तथा स्वागत वक्तव्य शोधार्थी मनकामना शुक्ल ने किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी शुभम चतुर्वेदी ने दिया। कार्यक्रम में डॉ.अशोक कुमार ज्योति, दीप मोहम्मदाबादी के साथ छात्र-छात्राओं की भारी उपस्थिति रही।