हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, जमानत बरकरार

नई दिल्ली : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: जस्टिस बीआर गवई की अगुआई वाली पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय का जमानत देने का आदेश उचित और संतुलित प्रतीत होता है। उन्होंने कहा, “जज ने तर्कसंगत फैसला सुनाया है। लिहाजा हम आदेश में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं।”

प्रवर्तन निदेशालय की याचिका: प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को जमानत देने वाले झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। ED ने अपनी याचिका में कहा था कि उच्च न्यायालय का आदेश अवैध है और टिप्पणियां पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। ED ने यह भी उल्लेख किया था कि झारखंड उच्च न्यायालय ने यह कहकर गलती की है कि हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय का आदेश उचित और तर्कपूर्ण था। उच्च न्यायालय ने वैध कारण बताए हैं कि बयान विरोधाभासी क्यों हैं। शीर्ष अदालत ने कहा, “हम और अधिक निरीक्षण (झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले का) नहीं करना चाहते; यदि हम और अधिक निरीक्षण करेंगे, तो आप (ED) मुश्किल में पड़ सकते हैं।”

महत्वपूर्ण बिंदु: सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट या उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों का ट्रायल कोर्ट पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष रहे और किसी भी पूर्वाग्रह से मुक्त हो।

निष्कर्ष: हेमंत सोरेन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल उनके लिए राहतभरा है बल्कि न्यायिक व्यवस्था में संतुलन और तर्कसंगतता को भी दर्शाता है। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि उच्च न्यायालय के निर्णय में हस्तक्षेप केवल तभी किया जाएगा जब उसके फैसले में स्पष्ट त्रुटि या पूर्वाग्रह हो।