प्रस्तुत है मेरी ये रचना “रघुपति रघुनन्दन राम हरे” :—-
रघुपति रघुनन्दन राम हरे, 
करुणासागर सुखधाम हरे । 
रघुपति रघुनन्दन राम हरे……… 
दशरथ के जीवन प्राण हरे, 
कौशल्या के प्रिय घ्राण हरे, 
पुरजन परिजन के मान हरे
करुणासागर सुखधाम हरे । 
रघुपति रघुनन्दन राम हरे……… 
भक्तन्ह के पालनहार हरे, 
भवसागर खेवनहार हरे, 
जगदीश्वर जगदाधार हरे, 
करुणासागर सुखधाम हरे । 
रघुपति रघुनन्दन राम हरे……… 
अगणित शोभा के धाम हरे, 
श्रीराम हरे जयराम हरे, 
‘ब्रह्मेश्वर’ करे प्रणाम हरे, 
करुणासागर सुखधाम हरे । 
रघुपति रघुनन्दन राम हरे………
घ्राण = स्वाँस
रचनाकार

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

 
							 
 
         
 
        