प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना:—-
सुनियो जि नाथ मैं तो आयो शरण तुम्हारि ,
नाथ मैं तो आयो शरण तुम्हारी ।
मैं कामी क्रोधी और लोभी ,
कपटि कुटिल विषयी और भोगी ।
मोहे भायो न भजन तुम्हारि ,
नाथ मैं तो आयो शरण तुम्हारी ।
सुनियो जि नाथ मैं तो——-
ममता मोह में प्रभु को भुलायो ,
संत मिलन मोहे कबहुँ न भायो ।
अब केहि विधि तरन हमारि ,
नाथ मैं तो आयो शरण तुम्हारी ।
सुनियो जि नाथ मैं तो——-
करहु कृपा मो पर मोरे स्वामी ,
सकल जगत उर अन्तर्यामी ।
अब रखियो लाज हमारि ,
नाथ मैं तो आयो शरण तुम्हारी ।
सुनियो जि नाथ मैं तो——-
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र