भवसागर पार लगाने वाले ,
हे ब्रजनन्दन तुम्हें प्रणाम ।
मैया को नाच नचाने वाले ,
माखन दधी चुराने वाले ,
बन में धेनु चराने वाले ,
हे ब्रजनन्दन तुम्हें प्रणाम ।
भवसागर पार लगाने वाले…….
राधा संग रास रचाने वाले ,
बंशी मधुर बजाने वाले ,
गोपिन्ह के चीर चुराने वाले ,
हे ब्रजनन्दन तुम्हें प्रणाम ।
भवसागर पार लगाने वाले…….
द्रौपति कि लाज बचाने वाले ,
साग बिदुर घर खाने वाले ,
गीता उपदेश सुनाने वाले ,
हे ब्रजनन्दन तुम्हें प्रणाम ।
भवसागर पार लगाने वाले…….
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र