भैया करहु संत गुणगान…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने संतों के पावन चरित्र का वर्णन किया है :———

भैया करहु संत गुणगान ।
भोज बृक्ष अपनी चमड़ी पर ,
जिमि लिखवाए पुरान ।
तैसेहिं पर उपकार कि खातिर ,
संत तजहिं निज प्रान ।
भैया करहु संत………..
पर संपत्ति देखि हर्षाहीं ,
पर सुख देखि सुखी होइ जाहीं ,
पर दुख मेरु समान ।
भैया करहु संत………..
हरि चरित्र चंदन सुख राशी ,
संत पवन होइ जगत सुबासी ,
मोह न मद अभिमान ।
भैया करहु संत………..
तरुवर फल नहिं खात है भैया ,
सरवर पियहिं न पान ।
पर उपकार कि खातिर संपति ,
संचहिं संत सुजान ।
भैया करहु संत………..

 

रचनाकार :

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र