मेरे राम .
मोहि तो रामहिं एक पियारा ।
जेहिके भजत मिटै दुख सारा ।।
प्रभु सम स्वामि जगत नहिं देखा ।
करहिं कृपा बहु भाँति बिशेषा ।।
मो सम सेवक नीच कहावा ।
तेहिके प्रभु लिन्हीं अपनावा ।।
प्रभु की कृपा से मन न अघाता ।
बसहु सदा मोरे मन जगत्राता ।।
शरण कृपालु राम रघुराई ।
करहुँ प्रणाम चरन सिरु नाई ।।
ब्रह्मेश्वर है शरण तुम्हारे ।
काम क्रोध मद लोभ विसारे ।।
करहु कृपा मो पर रघुबीरा ।
हरहु नाथ मम संकट पीरा ।।
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र