यमुना जी का श्याम रंग का जल कैसे शोभा पा रहा है जैसे श्यामसुन्दर का श्याम शरीर शोभा पा रहा हो। यमुना जी का कल कल करते हुए निर्मल जल बह रहा है। शीतल मंद सुगन्धित हवा बह रही है। तमाल का वृक्ष यमुना तट पर शोभा पा रहा है। युवतियाँ घड़ा लेकर यमुना में बने पनिघट पर हिरनी जैसी चाल से जल भरने आती हैं। मुरलीमनोहर यमुना तट पर मुरली बजाते हैं, गोपियों के वस्त्र चुरा लेते हैं और यह सब देख कर यमुना हर्षित होती हैं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—-
शोभत श्याम जमुन जल कैसे ? शोभत श्यामसुन्दर तनु जैसे । कल कल निर्मल नीर बहतु है , शीतल मंद समीर चलतु है । मोहत मन को कैसे ? श्याम छवि जैसे । शोभत श्याम जमुन जल कैसे ? शोभत श्यामसुन्दर तनु जैसे । तरु तमाल शोभत जमुना तट तरुनी घट ले आवत पनिघट । लचकत चलत हैं कैसे ? हिरनियाँ जैसे । शोभत श्याम जमुन जल कैसे ? शोभत श्यामसुन्दर तनु जैसे । जमुना के तट मुरली बजावत , मोहन सखियन वस्त्र चुरावत । जमुना हर्षित देखत कैसे ? देखत चन्द्र चकोरी जैसे । शोभत श्याम जमुन जल कैसे ? शोभत श्यामसुन्दर तनु जैसे ?