DHARM चन्द दोहे…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र admin January 7, 2025 आज बुजुर्गों को हम देते नहिं आदर मान। कलुषित मन कड़वी वाणी कर्मों का रहा न ध्यान।। प्रातकाल उठ कर कभी लेते नहिं प्रभु का नाम। मातु पिता गुरुजन को करते नहीं प्रणाम।। दो नावों पर पैर रखें पैर रहो छितराय। कैसे पावै त्राण नर ले नौका डूबि जाय।। रचनाकार : ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र