प्रभु श्रीराम जब विवाह मण्डप में पधारे तो सखियाँ आरती कर उनका परिछन करने लगीं, विवाह के अवसर पर गाये जाने वाली मंगल गाली गाने लगीं। प्रभु श्रीराम मंगल गाली गीत सुन कर मन हीं मन मुस्कुरा रहे हैं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——
रघुनाथ मड़वा में आए ।
सखी सब देखन धाए ।
रघुनाथ मड़वा में………..
कंचन थाल कपूर की बाती ,
आरती साज सजाए ।
रघुनाथ मड़वा में………..
परिछन दुल्लह करत सखी सब ,
गारी मंगल गाए ।
रघुनाथ मड़वा में………..
सखी सब करत ठिठोली मंडप में ,
राम मनहिं मुस्काए ।
रघुनाथ मड़वा में………..