प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—–
रघुबीर शरन तेरी आयो जी । कितने पापि शरन तेरी आए , करि के कृपा अपनायो जी । रघुबीर शरन तेरी…………. मैं कपटी क्रोधी और लोभी , हरि के भजन नहीं भायो जी । रघुबीर शरन तेरी…………. ममता मोह में प्रभु को भुलायो , जनम अकारथ जायो जी । रघुबीर शरन तेरी…………. तू स्वामी शरणागत पालक , अपनी बिरद निभायो जी । रघुबीर शरन तेरी…………. अब प्रभु कृपा करहु एहि भाँती , भजन करत दिन जायो जी । रघुबीर शरन तेरी………….