लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगा हुआ है । हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने गए हैं । प्रभु श्री राम भाई का सिर गोद में रख कर विलाप कर रहे हैं । इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है भोजपुरी में मेरी ये रचना :——
बबुआ भाइ के बचनियाँ सुनि के बोल बबुआ । आधी रात बीत गईल कपि नाहिं अइलें , रोवत रोवत मोरी अँखिया पिरइलें , अबहुँ त बोल अँखिया खोल बबुआ । बबुआ भाइ के बचनियाँ……………. मोरे हित लागी बबुआ माइ बाप तजल , बनवाँ में आके तू दुसह दुख सहल , अब उ सनेहिया कहाँ गइलें बबुआ । बबुआ भाइ के बचनियाँ……………. सुत बित नारी त आवत जात रहिहें , भाई सहोदर जगत नाहिं मिलिहें , अस जिय जानी अँखिया खोल बबुआ । बबुआ भाइ के बचनियाँ……………. जाईब अवध हम कवन मुँह ले के , स्त्री के खातिर प्रिय भाई गँवाके , ईहो अपजशवा अब हम सहबो बबुआ । बबुआ भाइ के बचनियाँ……………. माता सौंपली तोहे हमरे शरन में , का जाके कहबो हम माइ के चरन में , अबहुँ त बोल अँखिया खोल बबुआ । बबुआ भाइ के बचनियाँ……………