राधा कृष्ण की होली। राधा जी कहतीं हैं कि मैं साँवरे के साथ होली नहीं खेलूँगी। वह मेरी गगरी फोड़ देता है, मेरी बाँह मरोरता है, चुनरी खींचता है, मेरे साथ जबरदस्ती करता है। मैं साँवरे के संग होली नहीं खेलूँगी। राधा कृष्ण के प्रेम रस में रंगी होली का आनन्द लिजीए मेरी इस रचना के माध्यम से :—
साँवरे संग मैं खेलूँ न होरी ।
जब मैं जाऊँ पनियाँ भरन को ,
देत गगरिया फोरी ।
साँवरे संग मैं खेलूँ न होरी…….
डगर चलत मोरी बैंया मरोरत ,
खींचत चुनरिया मोरी ।
साँवरे संग मैं खेलूँ न होरी…….
जा रे बेदर्दी दरदियो न जाने ,
मों सों करत बरजोरी ।
साँवरे संग मैं खेलूँ न होरी…….
राधा किशन की होली निराली ,
प्रेम रंग सराबोरी ।
साँवरे संग मैं खेलूँ न होरी…….
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