बसन्त पंचमी से होली का भी शुभारंभ हो जाता है और यह चालिस दिनों तक चलता है और होली के दिन इसकी समाप्ति होती है। प्रस्तुत है मेरी ये रचना राधा कृष्ण की होली :—–
चुनर भइ गीली मोहन मुरारी ।
चुनर भइ गीली…………
बरसत रंग अबीर गुलाला ,
भीग गई ब्रज की सब बाला ,
भंग तरंग में भइ मतवारी ।
चुनर भइ गीली………….
अब मत मारो रंग पिचकारी ,
मानो मोहन अब बतिया हमारी ,
भीगी मोर चोली औ सारी ।
चुनर भइ गीली………….
बाजत ढोल मृदंग पखावज ,
झाँझर झाल मजीरा बजावत ,
नाचत बिरज नर नारी ।
चुनर भइ गीली………….