होली की अनन्त शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है मेरी ये रचना “अवध की होली”–
सिया संग होली खेलत श्री राम । भरत मांडवी लखन उरमिला, रिपुसूदन श्रुति वाम । निकली घर से अवध गुजरिया, सुन्दर ललित ललाम ।। सिया संग होली खेलत……… भरि भरि मारत रंग पिचकारी, उड़त अबीर गुलाल । खेलत फाग परसपर हिलमिल, सुबह से हो गई शाम ।। सिया संग होली खेलत……… बाजत ढोल मृदंग पखावज, अवध मची धूम धाम । ब्रह्मेश्वर सिय राम शरण हौं, कर जोरि करत प्रणाम ।। सिया संग होली खेलत……