प्रभु मोरे तुम बिन कौन उबारे…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

जब सम्पूर्ण विश्व पर कठिन संकट आ पड़ा था और कोरोना के भय से सारा जगत त्रस्त था, तब मैं इस रचना को लिखा था। आज फिर से इस रचना को पोस्ट कर रहा हूँ। कोरोना संकट से उबारने के लिये मैने अपनी इस रचना के माध्यम से प्रभु से विनती की है। प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——–

प्रभु मोरे तुम बिन कौन उबारे ।
संकट आन पड़ो हे स्वामी ,
आयो शरन तुम्हारे ।
तुम बिन कोइ नहीं प्रभु दूजा ,
तुम हीं पालनहारे ।
प्रभु मोरे तुम बिन कौन उबारे…..
दुष्ट कोरोना घात लगायो ,
निकसत लागे न पारे ।
घर के अन्दर कैद भयो प्रभु ,
कोइ नहीं रखवारे ।
प्रभु मोरे तुम बिन कौन उबारे…..
सकल जगत भयग्रस्त प्रभू जी ,
त्राहि त्राहि पुकारे ।
आओ हे रघुकुल के नायक ,
तुम्हरेहिं एक सहारे ।
प्रभु मोरे तुम बिन कौन उबारे…..

रचनाकार :

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र