शिव जी का परम पवित्र सावन मास की मनोहारी सुहावनी छटा का वर्णन मेरी इस रचना के माध्यम से:——–
सावन की आई बहार हो,
बरसे रिमझिम बदरिया ।
दादुर मोर पपीहा बोलें,
सबके मन में मधुरस घोलें,
कुह कुह पुकारे कोयलिया ।
बरसे रिमझिम बदरिया ।
सावन की आई………..
घर घर तरुणी झूला झूलें,
तन मन की सुधिया सब भूलें,
सखियन सब गावैं कजरिया ।
बरसे रिमझिम बदरिया ।
सावन की आई………..
सावन में शिव पूजन होवैं,
मंदिर मंदिर झूलन हौवैं,
राधा संग झूलैं सँवरिया ।
बरसे रिमझिम बदरिया ।
सावन की आई………..
गंगा जल भक्तन्ह सब लेकर,
बम बम बोलत चले शिव मंदिर,
लेकर के काँवर काँवरिया ।
बरसे रिमझिम बदरिया ।
सावन की आई………..
रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र