रोवत बीते रैन —-
पिया बिनु रोवत बीते रैन ।
दिन में चैन मोहे नहिं आवै,
निन्दिया रात न नैन ।
पिया बिनु रोवत बीते रैन ।
जब से गए सुधी नहिं लिन्हीं,
जियरा भयो बेचैन ।
पिया बिनु रोवत बीते रैन ।
कैसे कहूँ बिरह की बतिया,
मुख नहिं आवत बैन ।
पिया बिनु रोवत बीते रैन ।
आओ पिया बिरह न सहाए,
झर झर बरसत नैन ।
पिया बिनु रोवत बीते रैन ।
रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र