प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने भगवान कृष्ण से पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विनती की है :—
हे कृष्ण कहाँ हो छुपे ,
प्रकृति ने तुझको आज पुकारा है ।
ये बन पर्वत हैं बिकल ,
इन्हें हमने हीं बहुत प्रताड़ा है ।
सरिता जल हुए गरल देखो ,
यह कार्य मलीन हमारा है ।
हे कृष्ण कहाँ हो छुपे………
यह गगन धुम्र से भरा हुआ ,
मानव जीवन भी मरा हुआ ।
अब आओ करो मुक्त इनको ,
यह विनय विनम्र हमारा है ।
हे कृष्ण कहाँ हो छुपे………
गरल = विष
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र