हे आशुतोष महेश शंकर, महादेव महेश्वरम् ।
हिमवान कन्या वाम भागे, अंक गौरी नन्दनम् ।
कर्पूर गौरं करुणा सागर, त्रिपुर दुष्ट निकन्दनम्।।
हे आशुतोष महेश शंकर……………
शिव जटा जूट विशाल नेत्रम्, भुजग कंठे शोभितम् ।
उन्नत ललाटे चन्द्र शोभित, शीष गंगा धारणम् ।।
हे आशुतोष महेश शंकर……………
शमसान भष्मांगे विराजत, शोभितम् बाघम्बरम् ।
त्रीशूल पाणीं डमरु शोभित , आरुढ़म् वृष वाहनम् ।।
हे आशुतोष महेश शंकर……………
कैलाश वासी विश्वनाथम्, जगत्पति जगदीश्वरम् ।
शरणागतम् त्वम् पाहिमाम्, ब्रह्मेश्वरम् रामेश्वरम् ।।
हे आशुतोष महेश शंकर……………
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र