श्री महादेव शिव अवढरदानी……….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

शिव जी पार्वती जी के साथ अपने धाम कैलाश पर्वत पर कैसी शोभा पा रहे हैं, इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—-

 

श्री महादेव शिव अवढरदानी ,
शोभ रहें निज धाम ।
गौर बदन कर्पूर समाना ,
करुणा के शिव धाम ।
श्री महादेव शिव——


बाम भाग में उमा विराजत ,
अंक गौरि के लाल ।
श्री महादेव शिव——


जटा जूट शिव नैन विशाला ,
गले सर्प की माल ।
श्री महादेव शिव——


अंग भभूति कटी बाघम्बर ,
दूज चन्द्रमा भाल ।
श्री महादेव शिव——


कर डमरू त्रीशूल सुशोभित ,
जटा गंग की धार ।
श्री महादेव शिव——


अगणित सुर नर मुनिजन सेवत ,
शिव चरनन निष्काम ।
श्री महादेव शिव——
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रचनाकार

   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र