ओ डमरू वाले बाबा दिखा राह रे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है औढरदानी भोलेनाथ पर लिखी मेरी ये रचना :——-

ओ डमरू वाले बाबा दिखा राह रे ।
ममता की पट्टी बँधी आँख रे ।
ओ डमरू वाले बाबा………..
माया की फाँसी गले में पड़ी है ,
ममता की बेड़ी पैरों में जड़ी है ,
सूझे न रहिया सुझा राह रे ।
ओ डमरू वाले बाबा………..
बीच भँवर में पड़ी नाव मेरी ,
आ जा तु भोले करो नाहिं देरी ,
डूबत है नैया लगा पार रे ।
ओ सर्पों वाले बाबा सुझा राह रे ।
ओ डमरू वाले बाबा………..
तुम सा जगत में नहीं कोइ दानी ,
निज भक्ती दे दो मेरे औढर दानी ,
धन दौलत की नहीं चाह रे ।
ओ नन्दी वाले बाबा बता राह रे ।
ओ डमरू वाले बाबा………..

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रचनाकार

   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र