प्रस्तुत है मेरी ये रचना शरणागत भजन के रूप में :——.
रे मन! अब कहीं न जा । राम चरण को छोड़ बावरे, कहीं शरण नहिं पा । अब कहीं न जा । रे मन! अब कहीं……… राम चरण अति पावन जग में, सुन्दर सुखद सुहावन जग में, ता में नेह लगा । अब कहीं न जा । रे मन! अब कहीं……… कितने पापी दुष्ट को तारे, कितने अधम नीच उद्धारे, कइ गए मोक्ष सिधा । अब कहीं न जा । रे मन! अब कहीं……… प्रभु बिन तेरा कौन सहारा, क्यों फिरता है मारा मारा, प्रभु में चित्त लगा । अब कहीं न जा । रे मन! अब कहीं………