रहा भागता सारी रात……..-प्रशान्त करण

रविवार की रात्रि सरकार से प्रत्यक्ष अथवा किसी प्रकार भी परोक्ष रूप से जुड़े लोगों के लिए निनांत रूप व्यक्तिगत क्षण होता है. संध्याकाल से वे अपने रुचिकर कार्य के सफलतापूर्वक सम्पादन में पूरे मनोयोग से लग जाते हैं. ऐसे में आवश्यकतानुसार छोटी से लेकर बड़ी तक , गोपनीय से लेकर सार्वजनिक तक बैठकियाँ तक अपने अथवा दूसरों के सामर्थ से कर डालना उनके निकट भविष्य में चमक -दमक ले आता है .अब बैठकियाँ हों तो संगीत , नाच-गाना , नाना प्रकार के उपलब्ध मनोरंजन के साथ सुस्वादु भोजन बिना सोमरस के कैसे निभे ? सब सूर्यास्त के बाद इसमें अपने योगदाम के लिए मग्न हो जाते हैं . उस दिन भी रविवार ही था . सूचना से जुड़े एक से एक नामी -गिरामी एक सबसे सशक्त और सामर्थवान पुरुष के शहर से हटकर बने उनके फार्म हाउस में अपने – अपने सामर्थ पौरुष के अनुसार डटे थे . व्यावसायिक नारियों का समूह बाहर से बुलाया जो गया था . मनोरंजन कार्यक्रम में उन नारियों में अल्पतम वस्त्र धारण करने की प्रतिस्पर्धा मची थी . सभी सम्मानित अपनी सार्वजनिक संस्कृति का त्याग कर अपनी – अपनी वास्तविकता के चरित्र में अपने को परिवर्तित करने के लिए संघर्ष करने को आतुर थे .सोमरस के चौथे दौर के समय अतिथि सर्वसामर्थ पुरुष का चलंत दूरभाष बजा . उन्होंने संकेत से संगीत और इस महान सांस्कृतिक कार्यक्रम को कुछ क्षण रुकने को कहा . अचानक स्तब्ध्ता छा गयी . सब का ध्यान और कान उस चलंत दूरभाष की ध्वनि पर आ टिका . चलंत दूरभाष को आपसी गोपनीयता के विलोप होने के कारण स्पीकर मोड पर रखा गया . उधर से राजनीतिक सत्ता पर आसीन एक बड़े नेता जी का स्वर उस नीरवता में गुंजयमान हुआ .” देखो मेरे युवा पुत्र और माननीय – सम्माननीय विधायिका के सदस्य एक व्यक्तिगत के साथ अति गोपनीय कार्यरत सार्वजनिक रूप से लोगों द्वारा आपत्तिजनक अवस्था में एक युवा चली के संग मेरी सरकारी गाडी में रंगे हाथ पकड़े गए हैं . मामला गंभीर है . तनिक हल्ला हुआ नहीं कि गठबंधन के लोग समर्थन का हाथ खींच लेंगे . बड़े जुगाड़ से बनाई गयी अपनी सरकार अल्पमत में आकर गिर जाएगी , मानहानि और न्यायिक वाद की कठिनाई अलग से . इस समाचार को अभी तुरंत दबाना होगा . महिला के मुँह को हम अपनी शक्ति , सामर्थ और धन से देख लेंगे . तुम्हें इतना बड़ा पद क्यों दिया है ? इसी दिन के लिए . देख लो , अगर मैं डूबा तो एक -एक कर किसी को नहीं छोड़ूँगा . इतने संवाद के बाद दूरभाष का स्वर विच्छेदित हो गया . पूरे कार्यक्रम में सन्नाटा छा गया . वह सामर्थवाद अपने दोनों हथेलियों को अपने सिर पर रखकर चिंता में डूब गया . सभी उसके पास कुर्सियाँ खींचकर गंभीर मुद्रा में बैठकर अचानक आयी इस समस्या के निदान के विभिन्न आयामों पर गहराई से चिंतन , विचार -विमर्श करने लगे .

फिर सारा कार्यक्रम रद्द किया गया और आपसी कानाफूसी के बाद सभी चले गए .

सबसे सशक्त आदमी दूरदर्शन , आकाशवाणी से लेकर सारे चैनल्स के प्रधानों से बारी – बारी रातभर मिलते रहे और सौदा कर लिया . दूसरे समूह के लोग छोटे -बड़े सारे समाचारपत्रों के मुख्य सम्पादक से लेकर संवाददाताओं को रात भर पटाने में लगे रहे . तीसरा समूह थाने – पुलिस को , प्रशासन को सेट करने में लग गया . चौथा समूह नेता जी के पुत्र को लेकर दूसरे शहर जाकर दिन से वहीं होने के साक्ष्य पक्का करने चला गया . चौथे समूह ने बड़े आपराधिक गिरोहों से सम्पर्क कर रातों -रात उस युवती को गायब कराने में लग गया . पाँचवा समूह उस गाडी को दुर्घटनाग्रस्त कर एक दिन पहले की तिथि में मुकदमा पक्का कराने में भिड़ गया . रात भर की भाग -दौड़ में सारा मामला हर दृष्टिकोण से पूरा दब गया . सुबह के समाचार पत्र उस बड़े नेता और उनके पुत्र के गुणगान से भरा था . समाचार यह भी प्रमुखता से मुख्य पृष्ठ पर छपा कि जनता संध्या में नगर भवन में उनका नागरिक अभिनंदन कर रही है . रात भर के प्रभावकारी भाग -दौड़ से न केवल सरकार बच गयी वरन सभी अधिकारी और व्यवस्था से जुड़े वे सारे लोग सुरक्षित और सुदृढ़ हो गए . अगले दिन नेता जी ने गणित जोड़ा तो रात भर की भाग -दौड़ में उन्हेँ साढ़े तीन करोड़ की चपत लग चुकी थी . उसके अगले दिन नेता जी के विभाग ने पैंतीस करोड़ के जन कल्याण की योजना की संविदा निकलवा दी .

जैसे उनके दिन फिरे , सबके दिन फिरें !

– प्रशान्त करण