सीपीआर तकनीक से डॉक्टरों की टीम ने मृत बच्चे को पुनः कर दिया जीवित
गिरिडीह। गिरिडीह के चिकित्सकों की टीम ने मंगलवार को एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। लोग यह कहते नहीं अघा रहे कि वाकई इन्हीं डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। डॉक्टरों की टोली ने एक लगभग मृत घोषित हो चुके बच्चे के पीछे आधे घंटे तक कड़ी मेहनत और मशक्कत किया और बच्चे में पुनः जान फूंक दिया। कार्डियोपुलमोनरी रिस्यूसिटेशन (सीपीआर) तकनीक से डॉक्टरों की टीम ने यह कारनामा कर दिखाया
दरअसल मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के चेंगरबासा निवासी सनू टुडू के 13 वर्षीय पुत्र अमन टुडू को मंगलवार की सुबह बिच्छू ने डंक मार दिया था। बिच्छू के डंक मारने से अमन की तबीयत पूरी तरफ से बिगड़ गयी थी। उसकी तबीयत बिगड़ी देख परिजन झाड फूंक करवाने लगे। जिससे उसकी तबीयत और भी बिगड़ गई। बाद में परिजन उसे आनन फानन में लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। जहां बच्चे को कार्डिक अरेस्ट हो गया। बच्चे ने ऑक्सीजन लेना बंद कर दिया। उसकी हृदय की गति रुक गया। प्रथम दृष्टया बच्चे को सभी मृत समझ समझने लगे। इस बीच वार्ड के मरीजों को देखने डॉ फजल अहमद उक्त वार्ड में पहुंचे। जिसमे बच्चा भर्ती था। उन्होंने बच्चे को तुरत आईसीयू में भर्ती कराया। आईसीयू इंचार्ज अलीजान, कर्मी बिरेंद्र कुमार, अजीत कुमार के साथ डॉ फजल ने बच्चे को वह सीपीआर देना शुरू किया। आधे घंटे तक बच्चे को सीपीआर दिये जाने से बच्चे का हार्ड बीट कुछ कुछ दिखने लगा। बच्चे को मशीन से ऑक्सीजन दिया गया जिसके बाद बच्चे की जान वापस लौट गई। आईसीयू इंचार्ज अलीजान ने बताया कि अभी बच्चा खुद ही ऑक्सीजन ले रहा है और पूरी तरह से सुरक्षित है।
सिविल सर्जन डॉ एसपी मिश्रा ने इस बाबत कहा कि बच्चा लगभग मृत हो चुका था लेकिन डॉ फजल और उनकी टीम ने सीपीआर तकनीक से बच्चे की जान बचायी। सिविल सर्जन ने कहा कि डॉ फजल ने पूरी ईमानदारी से मेहनत किया जिसका परिणाम है कि बच्चा अभी सुरक्षित है।