महाराज दशरथ को ऐसा विश्वास था कि सुमंत्र जी राम को वन से लौटा कर ले आएगें पर जब सुमंत्र जी खाली हाथ लौटे तो…
View More बताओ हे सुमंत्र जी! राम कहाँ हैं ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रMonth: January 2025
सुनो जी मैं तो रघुबर के गुण गाऊँ…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें भगवान राम के कुछ मुख्य मुख्य पावन चरित्रों का वर्णन किया गया है :—— सुनो जी मैं तो रघुबर…
View More सुनो जी मैं तो रघुबर के गुण गाऊँ…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम हमारे आप पिता हैं……..ओम
मेरे नाती ओम जी ने भगवान राम पर एक रचना की है जिसमें मैने केवल मात्रा में संशोधन किया है। इस बालक को आशीर्वाद दे…
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प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने भगवान श्रीराम के कुछ अलौकिक चरित्रों का वर्णन किया है :—— रघुबीर तुम्हारे चरित अलौकिक, गावहिं जग के…
View More रघुबीर तुम्हारे चरित अलौकिक….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रWeb Journalists’ Association of India (WJAI) बिहार प्रदेश कमिटी का विस्तार
Web Journalists’ Association of India (WJAI) बिहार प्रदेश कमिटी का विस्तार: संगठन को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की तैयारी पटना। Web Journalists’ Association of…
View More Web Journalists’ Association of India (WJAI) बिहार प्रदेश कमिटी का विस्तारपरब्रह्म धरी पावन नर देही ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
परब्रह्म धरी पावन नर देही . (सवैया – प्रथम) दशरथ कौशल्या के प्रेम के वश, परब्रह्म धरी पावन नर देही । बहु बाल चरित्र करी…
View More परब्रह्म धरी पावन नर देही ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभजहु राम चरनन मोरे भाई….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कागभुषुण्डी जी गरूड़ जी से ज्ञान और भक्ति का निरूपण करते हुए कहते हैं कि हे गरूड़ जी बिना भजन के श्रीराम जी रीझते नहीं…
View More भजहु राम चरनन मोरे भाई….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रश्रीमन् नारायण नारायण हरी हरी……….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम ने जब रावण का वध कर दिया तब सब देवता मुनि आए और प्रभु की स्तुति करने लगे। प्रभु के प्रति कृतज्ञता प्रकट…
View More श्रीमन् नारायण नारायण हरी हरी……….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररावण बिना श्री राम की…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कागभुषुण्डी जी गरूड़ जी से भक्ति के विषय में वर्णन करते हुए कहते हैं कि हे गरूड़ जी भक्ति के बिना मनुष्य का शरीर शव…
View More रावण बिना श्री राम की…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम बिन गोदिया सूनी री सखिया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम वन में चले गए हैं। माता कौशल्या विरह में ब्याकुल हो कर बिलाप कर रही हैं। माता कौशल्या की विरह वेदना पर प्रस्तुत…
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