तुम न आए सनम मैं बुलाती रही…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी ये रचना गजल के रूप में :—— तुम न आए सनम मैं बुलाती रही । क्या खता थी हमारी बताते सनम ,…

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जारे जारे कजरारे कजरारे बदरा ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक युवती का पति परदेस में है और वह विरह में व्याकुल होकर बादल से विनती कर रही है कि हे बादल तुम मेरा संदेश…

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रोटी कारन पिया परदेशी भए…ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

रोटी कमाने पति परदेश चला गया है और पत्नी विरह में व्याकुल उसके आने की प्रतीक्षा कर रही है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी…

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WJAI संवाद: डिजिटल मीडिया की ताकत बड़ी, जिम्मेदारी उससे भी बड़ी – संविधान में आजादी के साथ बंदिशें भी जरूरी

पटना, 20 अप्रैल 2025 – वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WJAI) द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में शनिवार की शाम डिजिटल मीडिया की भूमिका, पत्रकारों की…

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विरह में बिलखत कौशिल माई….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम वन में चले गए हैं। माता कौशल्या विरह में व्याकुल होकर विलख रहीं हैं। प्रस्तुत है माता कौशल्या की विरह वेदना पर मेरी…

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उचरेला कागा अंँगनवाँ हो…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

माता शबरी प्रभु के आने की कैसे प्रतीक्षा कर रही है, मेरी इस रचना से स्पष्ट है :—— उचरेला कागा अंँगनवाँ हो , आज राम…

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बरजोरी करत है कन्हैया…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

गोपियाँ माता यशोदा से कृष्ण की शिकायत कर रही हैं और कहतीं हैं कि हे मैया कन्हैया हम सबों से बरजोरी करता है उसे रोको।…

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हनुमत तुम बिन कौन उबारे ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

कोरोना काल में लिखी गई मेरी ये रचना। कहा गया है कि हनुमान जी को जब उनके बल की याद दिलाई जाती है तब वे…

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शरणागतम् त्वम् पाहिमाम् …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

जब सारा विश्व कोरोना वायरस के संकट से त्रस्त था तब मैनें इस रचना को लिखा था जिसे आज फिर से पोस्ट कर रहा हूँ।…

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