प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना:—–
आयो रघुबीर शरन तेरी मैं तो ।
मैं कामी क्रोधी और लोभी,
कपटि कुटिल विषयी और भोगी,
हरो भव भीर शरन तेरी मैं तो ।
आयो रघुबीर शरन तेरी………..
ममता मोह में भूलि पड़ो हैं,
भजन न मैं कभि तेरो कियो हैं,
हरो मोरी पीर शरन तेरी मैं तो ।
आयो रघुबीर शरन तेरी………..
कितने पापि शरन तेरी आए,
तिन्हके प्रभु अपराध भुलाए,
अपनालो रघुबीर शरन तेरी मैं तो ।
आयो रघुबीर शरन तेरी………..
बिनति सुनहु प्रभु मोहे अशरन की,
राखहु प्रभु मोरे शरन चरन की,
तारो रघुबीर शरन तेरी मैं तो ।
आयो रघुबीर शरन तेरी………..
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र