ओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी रचना:—–

ओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी ।
काम क्रोध मद में, उमरिया बितायो प्रभु जी,
भायो न भजन तुम्हारी ।
ओ हरी जी! कब लोगे………..
ममता कि पट्टी अँखियन, पैरों जड़ी है बेड़ी,
छूटे न गाँठ हमारी ।
ओ हरी जी! कब लोगे………..
बीच भँवर में पड़ी, नाव हमारी प्रभु जी,
डूब रहे हौं मझधारी ।
ओ हरी जी! कब लोगे………..
‘ब्रह्मेश्वर’ अब, शरन तुम्हारी प्रभु जी,
राखो शरन गिरधारी ।
ओ हरी जी! कब लोगे………..

 

रचनाकार

 
   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र