हेमंत सोरेन सरकार की नई पारी: क्या बदलाव की उम्मीद है?

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’।  

आज हेमंत सरकार लगातार दूसरी बार शपथ लेगी और साथ ही नए मंत्रिमंडल की घोषणा भी कर सकती है। इंडि गठबंधन के किस दल से कितने मंत्री होंगे इसके लिए अभी क़यास ही लगाए जा रहे हैं। झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार दूसरी बार सत्ता संभालने जा रही है, और इसके साथ ही नए मंत्रिमंडल का गठन भी संभावित है। यह मंत्रिमंडल न केवल गठबंधन की राजनीतिक स्थिरता का परिचायक होगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि राज्य किस दिशा में आगे बढ़ेगा। इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDI गठबंधन) के भीतर मंत्रालयों के बंटवारे पर सबकी निगाहें हैं। संभावना है कि यह ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी’ के आधार पर तय होगा। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सिद्धांत के तहत गठबंधन को कितने सक्षम और प्रभावी मंत्री मिलते हैं।

मंत्रिमंडल की संरचना और संभावनाएं

हेमंत सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) गठबंधन में सबसे बड़ा दल है और मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ अन्य प्रमुख मंत्रालयों पर उसका दावा स्वाभाविक है। झामुमो संभवतः शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, और राजस्व जैसे मंत्रालय अपने पास रखना चाहेगा। कांग्रेस, जो गठबंधन का दूसरा सबसे बड़ा घटक है, वित्त, कृषि, और सामाजिक कल्याण जैसे मंत्रालय मांग सकती है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसे छोटे दलों को सांकेतिक रूप से एक-दो मंत्रालय दिए जा सकते हैं।

मंत्रियों के चयन में योग्यता और अनुभव का ध्यान रखना जरूरी है। अगर मंत्रिमंडल में ‘खानापूर्ति मंत्री’ की जगह ‘सक्षम मंत्री’ आते हैं, तो यह झारखंड के विकास को एक नई दिशा दे सकता है। लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकार अपने फैसलों में पारदर्शिता बनाए रखे।

मंत्रिमंडल के सामने चुनौतियां और प्राथमिकताएं

1. पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर लगाम

पिछली सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे, विशेषकर खनन और भूमि आवंटन से जुड़े मामलों में। जनता के बीच सरकार की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए यह जरूरी होगा कि नई सरकार पारदर्शिता को प्राथमिकता दे। इसके लिए ई-गवर्नेंस और जवाबदेही की प्रक्रिया को मजबूत करना आवश्यक है।

2. आदिवासियों और स्थानीय हितों की रक्षा

हेमंत सोरेन ने हमेशा आदिवासियों के हितों की बात की है। लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण और बांग्लादेशी घुसपैठ जैसे मुद्दे राज्य के सामाजिक ढांचे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सरकार को संतुलित नीति अपनानी होगी ताकि आदिवासी समुदाय का विश्वास बना रहे।

3. सामाजिक और आर्थिक विकास

शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के विकास में पिछली सरकार का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा। नई सरकार को इन क्षेत्रों में तेजी से काम करना होगा। ग्रामीण विकास, रोजगार सृजन, और महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान देना होगा।

4. तुष्टिकरण की राजनीति का खतरा

राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा हमेशा से विवादित रहा है। यदि सरकार इस दिशा में अतिशय झुकाव दिखाती है, तो इससे सामाजिक असंतुलन बढ़ सकता है। आदिवासी और स्थानीय समुदायों में असंतोष का खतरा रहेगा।

भविष्य की उम्मीदें: झारखंड के लिए नई संभावनाएं

1. शिक्षा और कौशल विकास

झारखंड में शिक्षा की स्थिति को सुधारने की सख्त जरूरत है। सरकारी स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता को सुधारने के साथ-साथ, कौशल विकास कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह न केवल युवाओं को रोजगार देगा, बल्कि राज्य की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगा।

2. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार

ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। नई सरकार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों, और विशेषज्ञ सेवाओं में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

3. कृषि और ग्रामीण विकास

झारखंड की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है। बेहतर सिंचाई सुविधाएं, सस्ते कृषि उपकरण, और फसल बीमा योजना के माध्यम से किसानों को राहत दी जा सकती है।

4. रोजगार सृजन

राज्य में बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या है। औद्योगिक विकास, स्टार्टअप्स को बढ़ावा, और छोटे और मझोले उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना आवश्यक है।

5. महिला सशक्तिकरण

महिलाओं के विकास के लिए विशेष योजनाएं और रोजगार के अवसर सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों और महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

6. ई-गवर्नेंस और प्रशासनिक सुधार

प्रशासन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए ई-गवर्नेंस को लागू करना एक बड़ा कदम हो सकता है। यह भ्रष्टाचार को कम करने और सेवाओं की डिलीवरी में तेजी लाने में मदद करेगा।

क्या बदलेगी सरकार की कार्यशैली?

हेमंत सोरेन ने एक परिपक्व नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या नई सरकार में कार्यशैली पहले से अलग होगी। जनता अब अधिक व्यावसायिकता और पारदर्शिता की उम्मीद कर रही है। यदि मंत्रिमंडल का चयन योग्य और सक्षम नेताओं के आधार पर किया जाता है, तो सरकार की कार्यक्षमता बेहतर हो सकती है।

कल्पना सोरेन: नई उम्मीद की किरण

कल्पना सोरेन का संभावित मंत्रिमंडल में प्रवेश नई उम्मीद जगाता है। उन्होंने अपने राजनीतिक और सामाजिक योगदान के माध्यम से एक सशक्त छवि बनाई है। अगर उन्हें शिक्षा और महिला कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जाती है, तो यह झारखंड में महिलाओं और युवाओं के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है।

नई सरकार की परीक्षा की घड़ी

हेमंत सोरेन की नई सरकार झारखंड के भविष्य को दिशा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, पारदर्शिता, और विकास की गति को बढ़ाना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए। जनता ने उन्हें दूसरा मौका दिया है, और अब यह उनके ऊपर है कि वे इस भरोसे पर खरा उतरें।

हाँ , चिंताजनक यह होगा की दूसरे मंत्री मुस्लिम तुष्टिकरण और बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कितना तवज़्ज़ो देने वाले हैं। यहा तो यह भी नहीं पता कि हेमंत सोरेन ने चुनावपूर्व इनसे कोई डील भी की हुई है क्या ? अगर तुष्टिकरण अभियान चलता है तो निश्चित यह झारखण्ड राज्य के भविष्य के लिए घातक सिद्ध होने वाला है। आदिवासियों में इसकी चिंता और चिंतन होना स्वभाविक है।

यह नई पारी हेमंत सरकार के लिए एक चुनौती के साथ-साथ अवसर भी है। अगर वे जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने में सफल रहते हैं, तो झारखंड न केवल विकास के पथ पर अग्रसर होगा, बल्कि राजनीति में भी एक स्थायी और सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।