सारी दुनिया रूठ जाय , इसकी चिन्ता नहीं है मुझको । बस राम हमारे कभी न रूठें , यही हमारी विनती उनसे । सारी दुनिया भूल जाय , इसकी भी चिन्ता नहीं है मुझको । बस राम हमारे कभी न भूलें , यही हमारी विनती उनसे । कितने अपने भूल गए , कितनों ने आँख चुराई । पर राम कृपा ऐसी भई , अंजानों ने गले लगाई ।