भाजपा की गलत रणनीति ने विधानसभा चुनाव में दिलाई हार : सरयू राय

रांची: झारखंड के पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पश्चिम से जनता दल (यूनाइटेड) के नवनिर्वाचित विधायक सरयू राय ने भाजपा की चुनावी रणनीति और हेमंत सोरेन सरकार के प्रति उसके रुख पर खुलकर अपनी राय रखी। राय ने स्पष्ट कहा कि भाजपा को हेमंत सोरेन की सरकार गिराने का प्रयास नहीं करना चाहिए था, क्योंकि इससे जनता के बीच गलत संदेश गया और पार्टी को विधानसभा चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

सरयू राय का बयान
सरयू राय ने आरोप लगाया कि भाजपा ने चरणबद्ध तरीके से कई गलतियां कीं। उन्होंने कहा कि जब मई 2022 में खनन आवंटन के मामले में हेमंत सोरेन पर कार्रवाई शुरू हुई, तब ही उन्होंने भाजपा नेताओं को आगाह किया था कि इस मुद्दे से हेमंत सोरेन को नुकसान नहीं होगा। राय ने कहा, “यह एक छोटी बात थी, जिसे भाजपा ने बड़ा बना दिया। इसके बाद पत्थर घोटाले के आरोप भी आए, लेकिन यह मुद्दा पिछली सरकार तक जाता था। इससे जनता में भाजपा की छवि खराब हुई।”

“अछूत मान लिया गया”
सरयू राय ने खुलासा किया कि जब भाजपा के भीतर सरकार गिराने की चर्चा चल रही थी, तब उन्होंने पार्टी नेताओं को सलाह दी थी कि यह कदम उल्टा पड़ सकता है। लेकिन उनकी सलाह को नजरअंदाज किया गया और उन्हें ‘अछूत’ मान लिया गया। राय ने कहा कि इससे जनता में धारणा बनी कि भाजपा किसी भी तरह हेमंत सोरेन सरकार को गिराना चाहती है।

हेमंत सोरेन को बताया परिपक्व नेता
हेमंत सोरेन की तारीफ करते हुए राय ने कहा कि उन्होंने जनता की नब्ज को पकड़ा और चुनावी अभियान बेहद परिपक्वता और आक्रामकता के साथ चलाया। सोरेन सरकार की ‘मुखिया सम्मान योजना’ और महिला सशक्तिकरण जैसे कदमों ने जमीनी स्तर पर बड़ा प्रभाव डाला। राय ने कहा, “हेमंत सोरेन ने जेल से लौटने के बाद फूंक-फूंक कर कदम रखा और जनता के भरोसे को जीता।”

भाजपा की रणनीतिक चूक
सरयू राय ने सुझाव दिया कि भाजपा को अपनी हार का आकलन एक स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा नेतृत्व को गहराई से आत्ममंथन करना चाहिए। “भाजपा ने मुद्दों को सही तरीके से नहीं उठाया। गलत प्राथमिकताएं और जनता से दूर रहने की नीति ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया।”

भ्रष्ट नेताओं से दूरी की सलाह
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नेताओं पर टिप्पणी करते हुए सरयू राय ने कहा कि भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों को भविष्य में ऐसे लोगों से दूरी बनानी चाहिए। “जनता ने साफ संदेश दिया है कि वे भ्रष्टाचार और नैतिक पतन को बर्दाश्त नहीं करेंगे।” उन्होंने मधु कोड़ा जैसे नेताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे व्यक्तियों से पार्टी को खुद को अलग रखना चाहिए।

जमशेदपुर पश्चिम की जीत और पूर्वी क्षेत्र से जुड़ाव
अपने चुनाव क्षेत्र को बदलने के सवाल पर सरयू राय ने कहा कि जमशेदपुर पूर्व और पश्चिम में कोई खास अंतर नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं जमशेदपुर पूर्व के लोगों के लिए भी उतना ही तत्पर रहूंगा जितना पश्चिम के लिए।” उल्लेखनीय है कि राय ने इस बार जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ा और राज्य के मंत्री बन्ना गुप्ता को हराकर जीत दर्ज की।

हिमंत बिस्वा सरमा को दी सलाह
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को लेकर राय ने कहा कि उन्होंने सरमा को सलाह दी थी कि घुसपैठ जैसे मुद्दों पर स्थानीय स्तर पर आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा, “गुवाहाटी या रांची से बयानबाजी करने से मुद्दों का समाधान नहीं होगा। इस तरह की राजनीति से केवल समर्थक वर्ग खुश होंगे, लेकिन जनता के वास्तविक मुद्दे हल नहीं होंगे।”

आने वाले समय के लिए सीख
सरयू राय के इन बयानों से साफ है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार केवल रणनीतिक चूक का नतीजा नहीं थी, बल्कि पार्टी की नेतृत्व शैली और प्राथमिकताओं ने भी इसमें भूमिका निभाई। राय ने सुझाव दिया कि भाजपा को आत्ममंथन करते हुए जनता से जुड़े मुद्दों को सही तरीके से उठाने की जरूरत है।

इस हार ने झारखंड में भाजपा की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, हेमंत सोरेन की परिपक्वता और योजनाओं की सफलता ने यह साबित किया कि जनता की नब्ज को पकड़ने वाले नेता ही चुनावी मैदान में टिक पाते हैं।