इस्पातकर्मियों के लिए खाली खजाना की नीति अब नहीं चलेगी ः हरिओम
बोकारो ः बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ की आमसभा रविवार को सेक्टर-2 स्थित कला केन्द्र में हुई। आमसभा में बीएसएलकर्मियों की भारी उपस्थिति के बीच कर्मियों का साथ आपसी संवाद हुआ और विभिन्न मांगों को लेकर विचार-मंथन किया गया।
कर्मचारियों ने यूनियन पदाधिकारियों को अपनी मांगों से अवगत कराया तो यूनियन पदाधिकारियों ने इस दिशा में रोडमैप प्रस्तुत किया। बैठक में यूनियन द्वारा 10 प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें मुख्य रूप से प्रोन्नति नीति और यूनियन चुनाव की पद्धति में बदलाव की मांग उठी। एनजेसीएस में केवल निर्वाचित यूनियन नेताओ को ही सदस्य बनवाने तथा एनजेसीएस मे सुधार के लिए कोर्ट केस लड़ने, बोकारो इस्पात संयंत्र मे रिकॉगनाइज्ड यूनियन का चुनाव करवाकर कमेटी काउंसिल के गठन, 15 प्रतिशत एमजीबी तथा 35 प्रतिशत पर्क्स के साथ वेज रिवीजन, 39 माह के फिटमेंट एरियर, 58 माह के पर्क्स एरियर का भुगतान, नन स्टैचुअरी बेनिफिट को लागू करवाने, अन्य महारत्न कंपनियों की तर्ज पर नई सुविधाओं को शुरू कराने, ग्रेडवाइज तथा क्लस्टरवाइज पदनाम, शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान लागू करने, क्लब, बीजीएच, नगर सेवा, कैंटीन, कार्यस्थल पर सुरक्षा को सुदृढ़ करने, जूनियर अधिकारी पदोन्नति पॉलिसी को बदलवाकर 2022 और 2024 परीक्षा हेतु न्यायालय मे मुकदमा दायर करने, स्थानांतरित कर्मचारियों की बोकारो इस्पात संयंत्र मे पुनः वापसी आदि संबंधी प्रस्ताव बैठक में पारित किए गए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अध्यक्ष हरिओम कुमार ने की तथा मंच संचालन महासचिव दिलीप कुमार ने किया। इस अवसर पर विशेष सम्मानित अतिथि के रूप में बोकारो माइंस में स्थानांतरित किए गए राकेश गिरि तथा भावेश चंद्र सिंह ने अपने विचारों से कर्मचारियों को अवगत कराया। अध्यक्ष हरिओम ने कहा कि हम अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। इसके लिए हमारी यूनियन को कितना भी केस लड़ना पड़े, हम तैयार हैं। महासचिव दिलीप ने कहा कि अब अधिकारियों के लिए पूरा खजाना तथा कर्मचारियों के लिए खाली खजाना की नीति नहीं चलेगी। बीएसएल के नियमित कर्मचारियों ने जिस तरह आज अपना शक्ति प्रदर्शन किया है उससे साफ है कि शीघ्र ही बदलाव होगा। कोषाध्यक्ष बीके मिश्रा ने कहा कि कर्मचारी एकजुट हो जाएं तथा यूनियन को आर्थिक मदद करें तो यूनियन प्रत्येक मुद्दे चाहे वह वेज रिवीजन, पदनाम, डीग्रेडेशन, जूनियर अधिकारी पदोन्नति का मामला हो या यूनियन चुनाव का, सभी के लिए यूनियन न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।