प्रभु श्रीराम का वन से अयोध्या लौटने को एक दिन शेष है। माता कौशल्या व्याकुल हैं कि राम अब तक आए क्यों नहीं ? सखियों…
View More राम काहे न आए सुनो री सखिया…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
मन रे तु काहे न राम कहे…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
रे मन! तू क्यों नहीं राम का नाम लेता है ? जिस नाम को लेकर गणिका, गिद्ध, अजामिल आदि अधम तर गए उसी नाम को…
View More मन रे तु काहे न राम कहे…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रबताओ हे सुमंत्र जी! राम कहाँ हैं ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
महाराज दशरथ को ऐसा विश्वास था कि सुमंत्र जी राम को वन से लौटा कर ले आएगें पर जब सुमंत्र जी खाली हाथ लौटे तो…
View More बताओ हे सुमंत्र जी! राम कहाँ हैं ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसुनो जी मैं तो रघुबर के गुण गाऊँ…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें भगवान राम के कुछ मुख्य मुख्य पावन चरित्रों का वर्णन किया गया है :—— सुनो जी मैं तो रघुबर…
View More सुनो जी मैं तो रघुबर के गुण गाऊँ…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम हमारे आप पिता हैं……..ओम
मेरे नाती ओम जी ने भगवान राम पर एक रचना की है जिसमें मैने केवल मात्रा में संशोधन किया है। इस बालक को आशीर्वाद दे…
View More राम हमारे आप पिता हैं……..ओमरघुबीर तुम्हारे चरित अलौकिक….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने भगवान श्रीराम के कुछ अलौकिक चरित्रों का वर्णन किया है :—— रघुबीर तुम्हारे चरित अलौकिक, गावहिं जग के…
View More रघुबीर तुम्हारे चरित अलौकिक….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रपरब्रह्म धरी पावन नर देही ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
परब्रह्म धरी पावन नर देही . (सवैया – प्रथम) दशरथ कौशल्या के प्रेम के वश, परब्रह्म धरी पावन नर देही । बहु बाल चरित्र करी…
View More परब्रह्म धरी पावन नर देही ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभजहु राम चरनन मोरे भाई….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कागभुषुण्डी जी गरूड़ जी से ज्ञान और भक्ति का निरूपण करते हुए कहते हैं कि हे गरूड़ जी बिना भजन के श्रीराम जी रीझते नहीं…
View More भजहु राम चरनन मोरे भाई….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रश्रीमन् नारायण नारायण हरी हरी……….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम ने जब रावण का वध कर दिया तब सब देवता मुनि आए और प्रभु की स्तुति करने लगे। प्रभु के प्रति कृतज्ञता प्रकट…
View More श्रीमन् नारायण नारायण हरी हरी……….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररावण बिना श्री राम की…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कागभुषुण्डी जी गरूड़ जी से भक्ति के विषय में वर्णन करते हुए कहते हैं कि हे गरूड़ जी भक्ति के बिना मनुष्य का शरीर शव…
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