प्रभु के चरण में जिनकी लगन लग गई वो भवसागर पार उतर गया । इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——- साँवरे की…
View More साँवरे की लगन मोहे लागी…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
प्रभु बिनु नहिं कोउ………-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :——- प्रभु बिनु नहिं कोउ, शरणागत हितकारी । आरत बचन सुनी द्रौपति की , राखी…
View More प्रभु बिनु नहिं कोउ………-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराजा राम जी हमारे पगु धारे नगरी…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम वन से अयोध्या लौट आए हैं। अवधवासियों के आनन्द की सीमा नहीं है। कहते हैं कि हे भैया चौदह वर्ष हम सभी विरह…
View More राजा राम जी हमारे पगु धारे नगरी…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररघुनाथ मड़वा में आए….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम जब विवाह मण्डप में पधारे तो सखियाँ आरती कर उनका परिछन करने लगीं, विवाह के अवसर पर गाये जाने वाली मंगल गाली गाने…
View More रघुनाथ मड़वा में आए….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रअवध में आग बिरह के लागल….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब प्रभु श्रीराम वन के लिए प्रस्थान किए ऐसा हृदयविदारक दृश्य उत्पन्न हो गया जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। राजा दशरथ राम राम कह…
View More अवध में आग बिरह के लागल….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रजब जब रघुबर के हमरा इयाद आवेला…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्री राम बन में चले गए हैं । माता कौशल्या पुत्र विरह में ब्याकुल हो कर बिलाप कर रही हैं । इसी प्रसंग पर…
View More जब जब रघुबर के हमरा इयाद आवेला…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रचन्द दोहे…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
आज बुजुर्गों को हम देते नहिं आदर मान। कलुषित मन कड़वी वाणी कर्मों का रहा न ध्यान।। प्रातकाल उठ कर कभी लेते नहिं प्रभु…
View More चन्द दोहे…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतोहरे चरन में लगन लागि रघुबर…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु के चरण में जिसकी लगन लग गई उसका बेड़ा पार हो गया। गणिका, अजामिल, गिद्धराज जटायू, केवट, अहिल्या, शबरी आदि इसके उदाहरण हैं। इसी…
View More तोहरे चरन में लगन लागि रघुबर…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराखहु लाज हमार प्रभू जी…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु अपने भक्तों की आर्त पुकार सुन कर अवश्य हीं उसकी रक्षा करते हैं । द्रौपती की आर्त पुकार सुन कर प्रभु ने उसकी लाज…
View More राखहु लाज हमार प्रभू जी…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रप्यारे ललना को मैया झुलावै पलना…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
माता कौशल्या बालक राम को पालने में झुला रही हैं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—– प्यारे ललना को मैया झुलावै पलना…
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