आजु जनक जी के अँगना….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम विवाह मंडप में सीता जी के साथ विराजमान हैं। सखियाँ कहती हैं कि आज जनक जी का आँगन कैसा सुहावना लग रहा है…

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बन्दऊँ माता शारदे, गणपति गौरी महेश….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

वन्दना . बन्दऊँ माता शारदे, गणपति गौरी महेश । बन्दऊँ रघुबर चरन कमल, सीता लखन समेत ।। बन्दऊँ भरत शत्रूघन चरना, बन्दऊँ श्री महाबीर ।…

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आया मंगलमय नववर्ष ….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

नववर्ष के शुभ अवसर पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने दर्शाया है कि किस प्रकार प्रकृति नववर्ष का स्वागत कर रही है :——…

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कहु कपि कब ऐहैं रघुबीर……..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

हनुमान जी जब लंका की अशोक वाटिका में माता सीता से मिले तब सीता जी अपनी विरह वेदना हनुमान जी से व्यक्त करने लगीं ।…

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जब त्रिजटा ने स्वप्न सुनाया……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

सीता जी की खोज कर और लंका जला कर हनुमान जी जब प्रभु श्रीराम जी के चरण में उपस्थित हुए तब हनुमान जी से प्रभु…

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शोभा बरनी न जाई रघुबीर सखी ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्री राम राजसिंहासन पर विराजमान हैं। सखियाँ उनकी शोभा का वर्णन कर रही हैं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——- शोभा…

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आज अवध में बधावन बाजै……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राजा दशरथ ने जब श्रीराम जी का राज्याभिषेक करने का निश्चय किया तब अवध में उत्सव की तैयारियाँ होने लगीं। घर घर मंगल साज सजाए…

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रघुनाथ मड़वा में आए…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

श्रीराम जानकी विवाह के शुभ अवसर पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—— रघुनाथ मड़वा में आए । सखी सब देखन धाए । रघुनाथ मड़वा…

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ऐसो हैं कृपालु रघुराई……..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम ऐसे कृपालु हैं कि अधम, नीच, पापियों को भी अपना परमधाम दे देते हैं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—– ऐसो…

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भजन करो राम का रे मन दिवाना….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम का भजन अपार संसार सागर से पार उतारने वाला है अतः रे मन तू प्रभु का भजन कर। प्रस्तुत है मेरी रचना राम…

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