जिनके नाम भवसागर सेतू….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

जिस प्रभु के नाम स्मर्ण मात्र से कितने पापी भवसागर पार उतर गए, जिनका नाम हीं सेतु है वही प्रभु केवँट से पार उतारने के…

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मैं तेरा पुकारूँ नाम हे स्वामी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—— मैं तेरा पुकारूँ नाम हे स्वामी , कब आओगे राम । काम क्रोध मद…

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बोलो राम राम राम…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राम और श्याम दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। दोनों नाम पावन हैं। राम राम बोलिये या श्याम श्याम बोलिये दोनों भवसागर पार उतार देने…

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राम अवध में पधारे आज…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्री राम के बनवास से लौटने पर अयोध्या में अपरिमित आनन्द छाया हुआ है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :- राम…

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राम हमारे कभी न रूठें ……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

सारी दुनिया रूठ जाय , इसकी चिन्ता नहीं है मुझको । बस राम हमारे कभी न रूठें , यही हमारी विनती उनसे । सारी दुनिया…

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दशरथ के चारो ललनवाँ……..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राजा दशरथ के चारों पुत्र आँगन में खेल रहे हैं। प्रस्तुत है भोजपुरी में मेरी ये रचना जिसमें मैने उनकी शोभा का वर्णन किया है…

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शोभत श्याम जमुन जल कैसे…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

यमुना जी का श्याम रंग का जल कैसे शोभा पा रहा है जैसे श्यामसुन्दर का श्याम शरीर शोभा पा रहा हो। यमुना जी का कल…

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देखो सज गइ आज अवध नगरी……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम वनवास समाप्त कर सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या लौट आए। गुरु बशिष्ठ जी, सभी माताएँ, भाई भरत जी और शत्रुघ्न…

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दर्शन दिहीं ना छठिय मैया…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

छठ गीत मेरी कलम से। सभी व्रतियों को छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ ! दर्शन दिहीं ना छठिय मैया, सेवका खड़ा है तोहरे द्वार ।…

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बंशी बाजि रही मधुवन में…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

कृष्ण की बाँसुरी की धुन राधा को इतनी प्रिय थी कि राधा सुध बुध खो देती थी l इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है आज की…

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