द्रौपदी चीर हरण पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना। द्रौपदी की आर्त पुकार सुन कर भगवान कृष्ण ने उसकी लाज रखी। यही प्रसंग है मेरी…
View More अब रखियो तु लाज हमारी….. – ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
भजले रे मन मातु जानकी….. – ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है माता जानकी पर लिखी मेरी ये रचना :—— भजले रे मन मातु जानकी । प्रिया राम करुणा निधान की । भजले रे मन…
View More भजले रे मन मातु जानकी….. – ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रशुभवा श्यामल पुरुषवा….. – ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ जिस मार्ग से बन में जा रहे हैं उस मार्ग पर बसे गाँव के लोग प्रभु…
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प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में राग भैरवी में मेरी ये रचना:——- भवसागर के खेवैया जी पार लगादो । डूबत मोरि नैया जी पार…
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राम नाम का एक बार प्रेम से उच्चारण मात्र से मनुष्य भवसागर पार उतर जाता है। गिद्ध, अजामिल, गणिका, केंवट, अहिल्या, शबरी सब ने राम…
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प्रस्तुत है मेरी रचना – प्रभु श्रीराम का भजन :— भजले सीतापति रघुराई । जाके भजत भोले शिव शंकर , चरन कमल चित लाई ।…
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प्रभु का नाम हीं भवसागर पार उतरने के लिए एक आधार है। गणिका, गिद्ध अजामिल आदि अनेक पापी प्रभु को भज कर भवसागर पार उतर…
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प्रस्तुत है प्रभु श्रीराम जी के चरणकमल की वन्दना मेरी कलम से:– ओ हरि जी! चरन कमल बलिहारी । ओ हरि जी………… जेहि चरनन से…
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कृष्ण सुदामा मित्रता, जगत सराहन जाय । ऐसी मैत्री अन्य कोई, अब तक नहीं निभाय ।। एक गरीबी में जिया, एक द्वारकाधीश । कैसी अद्भुत…
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मनुष्य के शरीर के समान दूसरा कोई शरीर नहीं है। इसे पाने के लिए देवता लोग भी याचना करते हैं पर मिल नहीं पाता है।…
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