शिव जी के गणों ने शिव जी का अद्भुत श्रृंगार किया। सांप का मौर बनाया, सांप का हीं गले में माला, सांप का हीं कुण्डल…
View More शोभत है शिव के बरात……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
आरे रामा शिव जी के सजल बराती……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कामदेव के भस्म हो जाने के बाद प्रभु श्रीराम ने शिव जी को पार्वती जी से विवाह करने के लिए मनाया तब शिव जी के…
View More आरे रामा शिव जी के सजल बराती……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकामदेव शिव को लुभाने चला………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
इधर पार्वती जी शिव जी को पती रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या कर रहीं हैं और उधर शिव जी अखण्ड समाधि में लीन…
View More कामदेव शिव को लुभाने चला………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकिन्हिं कठिन तप गिरिजा भवानी……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
पार्वती जी के माता पिता ने उन्हें तप करने के लिए वन में भेजा। पार्वती जी ने शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने…
View More किन्हिं कठिन तप गिरिजा भवानी……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रमैया एक सपन हमने देखा……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब नारद जी ने पार्वती जी के माता-पिता को यह बताया कि पार्वती को तो अशुभ अमंगल वेषधारी पति मिलेगा और यह सब गुण शिव…
View More मैया एक सपन हमने देखा……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसमरथ को नहिं दोष गोसाईं……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब नारद जी ने पार्वती जी के माता पिता को यह बताया कि तुम्हारी पुत्री को अशुभ अमंगल वेष धारण करने वाला पती मिलेगा और…
View More समरथ को नहिं दोष गोसाईं……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहर्षित भई मैना रानी…………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
माता सती ने शरीर त्यागने के पश्चात् राजा हिमाचल के घर उनकी पत्नी महारानी मैना के गर्भ से पुत्री रूप में अवतार लिया और माता…
View More हर्षित भई मैना रानी…………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रजय हर हरी जय हर हरी……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
हर और हरि अर्थात् भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की एक साथ वन्दना मेरी इस रचना के माध्यम से :—– जय हर हरी जय…
View More जय हर हरी जय हर हरी……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रशीष गंग अर्द्धंग पार्वति………. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शिव जी पर लिखी गई मेरी ये रचना जिसमें मैने भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग का समावेश किया है :—– शीष गंग अर्द्धंग…
View More शीष गंग अर्द्धंग पार्वति………. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रशिव शंभू हमारा निराला रे……….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
शिव जी के निरालेपन पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—– शिव शंभू हमारा निराला रे । शमसान भस्म बदन पर धारे, गरवा में सर्पों की…
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