द्रौपदी ने जब आर्त हो कर प्रभु को पुकारा तो प्रभु ने उसकी लाज रखी। प्रस्तुत है द्रौपदी चीरहरण पर मेरी ये रचना :—- हे…
View More हे गोविन्द हे गोपाल राखु लाज मोरी……ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
तुपकाडीह दुर्गा मंदिर का मना 21वां स्थापना दिवस
बोकारो ः तुपकाडीह स्टेशन रोड स्थित शक्ति स्थल मां दुर्गा मंदिर का 21वां स्थापना दिवस सोमवार को विधि-विधान के साथ मनाया गया। पुरोहित विकास पांडेय ने मंदिर…
View More तुपकाडीह दुर्गा मंदिर का मना 21वां स्थापना दिवसप्रभू जी रखियो लाज हमार…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है द्रौपती के चीर हरण के प्रसंग पर मेरी ये रचना द्रौपती की आर्त पुकार :——- ओ माधव मदन मुरार , प्रभू जी रखियो…
View More प्रभू जी रखियो लाज हमार…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतुम कहाँ हो छुपे नन्द नन्दन हरी……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—– तुम कहाँ हो छुपे नन्द नन्दन हरी । मैं तो खोजूँ तुझे बन बन…
View More तुम कहाँ हो छुपे नन्द नन्दन हरी……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रचितचोर मोर गलि आना….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
गोपियों के चित्त को चुराने वाले चितचोर कन्हैया को जिस प्रकार गोपियाँ बुलाती थीं उसी प्रकार मैं भी अपनी इस रचना के माध्यम से उस…
View More चितचोर मोर गलि आना….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररे मन भजले कृष्ण कन्हैया…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी रचना भगवान कृष्ण का भजन :—– रे मन भजले कृष्ण कन्हैया । नन्द नन्दन घनश्याम मुरारी, यशोमति गोद खेलैया । रे मन…
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प्रस्तुत है मेरी ये रचना कृष्ण भजन के रूप में :—– भजो रे मन नन्द नन्दन घनश्याम । जमुना के तट बंशी बजायो , गोपिन्ह…
View More भजो रे मन नन्द नन्दन घनश्याम…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रप्रकृति ने तुझको आज पुकारा है…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने भगवान कृष्ण से पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विनती की है :— हे कृष्ण कहाँ हो छुपे ,…
View More प्रकृति ने तुझको आज पुकारा है…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहे कृष्ण कहाँ हो छुपे…… ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
आज समाज ऐसा दूषित हो गया है कि कौन सज्जन है और कौन दानव पहचान करना मुश्किल हो गया है।पग पग पर यहाँ दुर्योधन और…
View More हे कृष्ण कहाँ हो छुपे…… ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहे कृष्ण पुकार रही जननी…. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें माता देवकी के उद्धार की कामना भगवान कृष्ण से की गई है :—— हे कृष्ण पुकार रही जननी, जननी…
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