भगवान श्रीकृष्ण गोकुल छोड़ कर चले गए हैं और इधर राधा जी कृष्ण विरह में व्याकुल विलाप कर रहीं हैं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है…
View More लागै न जियरा हमार हो…- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
ब्रह्मेश्वर के दोहे…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
ब्रह्मेश्वर के दोहे—– जबसे प्रभु में नेह लगी, छूटे माया मोह । काया निर्मल हो गई, रहा न क्रोध न द्रोह ।। नहिं मोहे चाह…
View More ब्रह्मेश्वर के दोहे…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहरि चरन कमल मन लागि मेरी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु के चरण कमल में जिसकी लगन लग गई उसका बेड़ा पार हो गया। गणिका, गज, अजामिल, केंवट, शबरी, अहिल्या आदि सभी प्रभु के चरण…
View More हरि चरन कमल मन लागि मेरी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रआगे माई एही बउराह बर…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
पार्वती जी की माता मैना जी ने जब दुल्हा शिव जी के भयंकर रूप को देखा तो डर कर बिलाप करने लगीं कि ऐसे बावले…
View More आगे माई एही बउराह बर…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रविरह में बिलखत कौशल्या माई…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम वन में चले गए हैं। माता कौशल्या विरह में व्याकुल होकर विलख रहीं हैं। प्रस्तुत है माता कौशल्या की विरह वेदना पर मेरी…
View More विरह में बिलखत कौशल्या माई…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररघुबर नाहिं लेबो हो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
केवँट प्रभु श्री राम को गंगा पार उतारा । प्रभु उतराई देने लगे । केवँट ले नहीं रहा है । प्रभु ने बहुत प्रयास किया…
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प्रभु श्रीराम दुल्हा रूप में विवाह मंडप में हैं। अपरिमित शोभा छाई हुई है। प्रभु की सुन्दरता पर जनकपुर की युवती स्त्रियाँ इतनी मोहित हैं…
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परम सुहावन नगरी अयोध्या जो छहो ऋतुओं में सुख देने वाली है उसकी शोभा का वर्णन नहीं किया जा सकता। उत्तर दिशा में पवित्र सरयू…
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राधा और कृष्ण का प्रेम मन और वाणी से परे है। इसका कोई वर्णन नहीं कर सकता। जिस मुरली की तान सुनकर राधा सुधबुध खो…
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एक भक्त की भावना। भक्त कहता है कि हे प्रभु! मैं तो आपका सेवक हूँ, मुझे कभी भूलियेगा नहीं। आपके सिवा मेरा कोई सहारा नहीं…
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