बाल श्रम का ज़हर: आँकड़ों की चुप्पी, प्रशासन की मौनस्वीकार्यता

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’      भारत में बाल श्रम को लेकर जितनी संवेदनशील बातें होती हैं, ज़मीनी सच्चाई उससे उतनी ही क्रूर है।…

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तीन दशक की चुप्पी : संस्कार और संवाद की खोज में बोकारो

सदियों पुरानी नीति रही है — किसी देश या प्रदेश को यदि कमज़ोर करना हो, तो सबसे पहले उसकी संस्कृति पर प्रहार करो। उसकी कला,…

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थोड़ा “ज़िंदगी जीने की क्लास” भी ज़रूरी है

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘  चलिए, सीधी बात करते हैं — हम सबने स्कूल और कॉलेज में खूब पढ़ाई की है। गणित में पसीना…

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