झारखंड का भविष्य सकारात्मक हो सकता है यदि राज्य में नेतृत्व मजबूत और दूरदर्शी हो

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु पुष्पेश। 

झारखंड के भविष्य को लेकर चिंताएं स्वाभाविक हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य का भविष्य अंधकारमय है। यदि राज्य सरकार और प्रशासन ठोस कदम उठाएं, तो इन समस्याओं का समाधान संभव है। सबसे पहले, राज्य में भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। राज्य में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण कोयला और खनिज घोटाले हैं, जहां प्राकृतिक संसाधनों की अवैध निकासी और व्यापार होता है। इस अवैध धंधे में कई बड़े नेता, अधिकारी और व्यापारी शामिल हैं। नतीजतन, राज्य को आर्थिक नुकसान होता है, और जो पैसा राज्य के विकास में लगना चाहिए, वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार की वजह से बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी आदि की आपूर्ति में भी कमी आती है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने चाहिए और उनका ईमानदारी और सख्ती से अनुपालन हो। दोषियों को सजा दी जाए ताकि यह संदेश जाए कि राज्य में भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया जाएगा।

झारखंड, देश के सबसे समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों में से एक राज्य है, जिसे 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग कर नया राज्य बनाया गया था। इस नए राज्य का सपना था कि यहां के निवासियों को बेहतर जीवनयापन के अवसर मिलें, प्राकृतिक संपदाओं का समुचित उपयोग हो, और लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति हो। लेकिन आज, झारखंड कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है, जिसमें भ्रष्टाचार, अशिक्षा, युवाओं के लिए अवसरों की कमी और आम जनता को आवश्यक सुविधाएं न मिलना प्रमुख हैं। इन समस्याओं ने राज्य के विकास को बाधित किया है और इसके भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

भ्रष्टाचार झारखंड के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। राज्य के गठन के बाद से ही भ्रष्टाचार का जाल बढ़ता चला गया। चाहे वह खनिज संपदाओं का दोहन हो, सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन हो, या फिर नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया—हर जगह भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें फैलाई हैं। इसका सबसे बड़ा खामियाजा राज्य के गरीब और वंचित वर्गों को भुगतना पड़ा है। सरकारी योजनाएं जो इन वर्गों के उत्थान के लिए बनाई जाती हैं, उनका लाभ उन तक पहुंच ही नहीं पाता। भ्रष्टाचार के कारण आम जनता का विश्वास सरकार और प्रशासन से उठता जा रहा है।

झारखंड में अशिक्षा एक गंभीर समस्या है। राज्य की साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से कम है, और विशेषकर ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी खराब है। शिक्षा की कमी के कारण राज्य के बच्चे और युवा बेहतर रोजगार और अवसरों से वंचित रह जाते हैं। राज्य में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था का अभाव है। स्कूलों में शिक्षक नहीं होते, किताबें नहीं होतीं, और बुनियादी ढांचा कमजोर होता है।

अशिक्षा के कारण राज्य में बाल श्रम, बाल विवाह, और सामाजिक कुरीतियों का बोलबाला है। इसके अलावा, अशिक्षित युवा समाज में गलत दिशा में चले जाते हैं, जिससे राज्य की सामाजिक स्थिति और भी जटिल हो जाती है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी राज्य पिछड़ा हुआ है। यहां के विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए अन्य राज्यों में जाने को मजबूर होते हैं। यदि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था होती, तो यहां के युवा अपने राज्य में ही रहकर विकास में योगदान दे सकते थे।

झारखंड में युवाओं के लिए अवसरों की कमी एक बड़ी समस्या है। राज्य में औद्योगिक विकास की गति धीमी है, जिसके कारण रोजगार के अवसर कम हैं। बेरोजगारी की दर राज्य में लगातार बढ़ रही है, और इससे युवा हताश हो रहे हैं। राज्य में रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए उद्योगों और व्यापारिक संस्थानों की स्थापना आवश्यक है, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार के कारण निवेशक राज्य में निवेश करने से कतराते हैं।

इसके अलावा, राज्य में कौशल विकास की योजनाओं का अभाव भी एक बड़ी समस्या है। सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं कागजों पर ही सीमित रह जाती हैं, और उनका लाभ युवाओं तक पहुंच नहीं पाता। परिणामस्वरूप, राज्य के युवा बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं और बेहतर भविष्य की तलाश में पलायन कर रहे हैं। राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि यहां के प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग हो, और सरकार उद्योगों को प्रोत्साहित करे।

झारखंड में आम जनता को बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, बिजली, सड़क, और परिवहन जैसी सुविधाएं अधिकांश गांवों और कस्बों में उपलब्ध नहीं हैं। स्वास्थ्य सेवाओं का हाल तो इतना खराब है कि लोग मामूली बीमारियों के इलाज के लिए भी दूसरे राज्यों का रुख करते हैं।

राज्य के ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की समस्या भी गंभीर है। कई गांवों में आज भी लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे उन्हें जल जनित बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, बिजली और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी राज्य के विकास में बाधक है। राज्य के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में बिजली की पहुंच नहीं है, और जहां है भी, वहां बिजली की आपूर्ति अनियमित है।

सड़क परिवहन की स्थिति भी चिंताजनक है। ग्रामीण इलाकों में सड़कों की हालत खस्ता है, जिससे लोगों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। और जहाँ चौड़ी और खूबसूरत सड़कें बनाई गई हैं, वहां सड़क दुर्घटनाओं और दुर्घटनाओं की संभावनाओं पर नियंत्रण नहीं है; यानी रोड सेफ्टी के कार्यक्रम प्रभावी नहीं हो रहे। यह सब राज्य के विकास की राह में बड़ी बाधाएं हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में सुधार आवश्यक है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर सुधार किया जाए, और उच्च शिक्षा के लिए राज्य में विश्वस्तरीय संस्थानों की स्थापना की जाए। इसके अलावा, शहरी के साथ-साथ ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए उद्योगों और व्यापारिक संस्थानों को प्रोत्साहित किया जाए। राज्य में कौशल विकास की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, ताकि अधिकतम युवाओं को रोजगार के योग्य बनाया जा सके।

बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में भी सुधार आवश्यक है। स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, सड़क, और परिवहन जैसी सुविधाओं को राज्य के हर कोने में उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए सरकारी योजनाओं का समुचित क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, और परियोजनाओं की निगरानी की जाए।

झारखंड का भविष्य सकारात्मक हो सकता है यदि राज्य में नेतृत्व मजबूत और दूरदर्शी हो। राज्य की प्राकृतिक संपदाएं, सांस्कृतिक धरोहर, और मानव संसाधन इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं। राज्य सरकार को इन संसाधनों का सही उपयोग करते हुए विकास की दिशा में आगे बढ़ना होगा। झारखंड के लोग मेहनती और जुझारू हैं, और यदि उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन मिले, तो राज्य विकास की नई ऊंचाइयों को छू सकता है।

राज्य को चाहिए कि वह अपनी प्राकृतिक संपदाओं का सतत और समुचित उपयोग करे, और विकास की प्रक्रिया में आम जनता को शामिल करे। राज्य के ग्रामीण इलाकों में विकास की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, ताकि यहां के लोग भी विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

झारखंड का भविष्य चुनौतियों से भरा है, लेकिन इन चुनौतियों का सामना करने के लिए राज्य के पास पर्याप्त संसाधन और क्षमता है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह भ्रष्टाचार, अशिक्षा, बेरोजगारी, और बुनियादी सुविधाओं के अभाव जैसी समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाए। यदि ऐसा होता है, तो झारखंड का भविष्य उज्ज्वल है, और यह राज्य देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। झारखंड के लोगों को भी चाहिए कि वे अपने राज्य के विकास के लिए सरकार और प्रशासन के साथ मिलकर काम करें, और एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हों।