प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—
प्रभु मोरे रखियो अपनी शरन में ।
तुम्हरेहिं माया के बश हो कर ,
भूल गयो तोहे प्रभु जी ।
ममता मोह में उलझ गयो प्रभु ,
मन नहीं लागो भजन में ।
प्रभु मोरे रखियो अपनी………..
डूबन लगी नाव जब प्रभु जी ,
याद तुम्हारी आई ।
अब प्रभु आकर मोहे उबारो ,
डुबन चलत पल छन में ।
प्रभु मोरे रखियो अपनी………..
तुम शरणागत पालक प्रभु जी ,
दुखियन के रखवारे ।
भवसागर से पार करो प्रभु ,
दे दो शरन चरन में ।
प्रभु मोरे रखियो अपनी………..
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र