प्रभु बिनु नहिं कोउ……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :——-

प्रभु बिनु नहिं कोउ,
शरणागत हितकारी ।
आरत बचन सुनी द्रौपति की ,
राखी लाज मुरारी ।
शरणागत हितकारी ।
प्रभु बिनु नहिं कोउ…………
आरत हो गजराज पुकारा ,
गज को आ के उबारी ।
शरणागत हितकारी
प्रभु बिनु नहिं कोउ…………
आए शरण विभीषण प्रभु की ,
राखी शरण खरारी ।
शरणागत हितकारी ।
प्रभु बिनु नहिं कोउ…………

 

रचनाकार

 
   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र