प्रभु श्री राम बन में चले गए हैं । माता कौशल्या पुत्र विरह में ब्याकुल हो कर बिलाप कर रही हैं । इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है भोजपुरी में मेरी ये रचना :——–
जब जब रघुबर के हमरा इयाद आवेला , हमरा अँखियन से अँसुअन के धार बहेला । जब से छोड़ि अवध के गैलें , तब से दिन के चैन भुलैलें , रतिया तारा गिन गिन के बिहान होखेला । हमरा अँखियन से……………. रघुबर बन बन घूमत होइहैं , बन के सब दुख सहत होइहैं , बन में भारी भारी अँधिया तुफान उठेला । हमरा अँखियन से……………. सीता हई बड़ी सुकुमारी , रखनी गोदिये में बैठारी , रघुबर उनके में हमरो परान बसेला । हमरा अँखियन से……………. बबुआ लखन बिना सब सूना , उनके मनलीं तोह से दूना , रघुबर उनका बिन महलिया शमसान लागेला । हमरा अँखियन से……………. बबुआ जल्दी घरवा अइह , अभागिन मैया के ना भुलैह , बबुआ रहिया ताकत दिन रैन बीतेला । हमरा अँखियन से…………….